

श्री धर्मगढ़ बाबा मंदिर में जो दृश्य देखने को मिला, वह इस बात का प्रतीक है कि आस्था न जाति देखती है, न धर्म। यह घटना एक बार फिर यह संदेश देती है कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता को स्वीकार करती है और हर धर्म में भक्ति और श्रद्धा का स्थान है।
कानपुर देहात में दिखा गंगा-जमुनी तहज़ीब
Kanpur Dehat News: कानपुर देहात के रसूलाबाद कस्बे में स्थित ऐतिहासिक श्री धर्मगढ़ बाबा शिव मंदिर में एक ऐसा दृश्य सामने आया। जिसने क्षेत्र ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यहां दो मुस्लिम महिलाओं द्वारा मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में नजर आई श्रद्धा और भक्ति
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि दो मुस्लिम महिलाएं एक छोटे बच्चे के साथ मंदिर में प्रवेश करती हैं और पूरी श्रद्धा के साथ मंदिर के मुख्य द्वार पर माथा टेकती हैं। इसके बाद वे भगवान शिव की प्रतिमा और नंदी महाराज के चरण छूकर आशीर्वाद लेती हैं। पूजा के बाद महिलाएं दान पात्र में रुपये भी डालती हैं, जो उनकी आस्था को और स्पष्ट करता है।
मन्नत पूरी होने पर आई होंगी महिलाएं
स्थानीय लोगों के अनुसार, ये महिलाएं रसूलाबाद कस्बे की ही रहने वाली हैं। माना जा रहा है कि वे किसी मन्नत या आस्था के चलते मंदिर पहुंचीं थीं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे पहली बार आई थीं या पूर्व में भी मंदिर में दर्शन कर चुकी हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे गंगा-जमुनी तहज़ीब और भारतीय संस्कृति की मिसाल बता रहे हैं। वहीं कुछ लोग धार्मिक मर्यादाओं का हवाला देते हुए सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस तरह की गतिविधियां परंपरा के अनुरूप हैं या नहीं।
मंदिर प्रशासन की चुप्पी
घटना के बाद से अब तक श्री धर्मगढ़ बाबा मंदिर समिति या किसी भी पुजारी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। मंदिर प्रशासन ने इस पूरे मामले पर अभी चुप्पी साध रखी है। हालांकि मंदिर में मौजूद एक श्रद्धालु ने ही यह वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया था।
धार्मिक सौहार्द की मिसाल या परंपराओं से टकराव?
इस घटना ने एक बार फिर देश में धार्मिक सहिष्णुता बनाम धार्मिक मर्यादा की बहस को जन्म दे दिया है। एक तरफ जहां लोग इसे समाज में बढ़ते सौहार्द और एकता का उदाहरण बता रहे हैं, वहीं कुछ कट्टरपंथी सोच वाले लोग इसे परंपराओं में हस्तक्षेप मान रहे हैं।