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पीड़ित देवी शरण ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत घघसरा द्वारा लगाए गए रीबोर हैंडपंप को जानबूझकर खराब कर दिया गया है, जिससे लोगों को पीने के लिए दूषित पानी मिल रहा है।
Gorakhpur: शनिवार को सहजनवां तहसील में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस उस समय चर्चा का केंद्र बन गया, जब नगर पंचायत घघसरा क्षेत्र के अंबेडकर नगर निवासी देवी शरण एक डिब्बे में हैंडपंप से निकल रहा गंदा और बदबूदार पानी लेकर सीधे तहसील पहुंच गए। ग्रामीण द्वारा अधिकारियों के समक्ष डिब्बा खोलते ही वहां मौजूद अधिकारी और कर्मचारी हैरान रह गए। यह दृश्य प्रशासन की कार्यप्रणाली और जमीनी हकीकत को उजागर करता नजर आया
पीड़ित देवी शरण ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत घघसरा द्वारा लगाए गए रीबोर हैंडपंप को जानबूझकर खराब कर दिया गया है, जिससे लोगों को पीने के लिए दूषित पानी मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कई बार शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई, जिससे मजबूर होकर उन्हें गंदा पानी लेकर सम्पूर्ण समाधान दिवस में आना पड़ा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसडीएम सहजनवां केशरी नंदन तिवारी ने मौके पर ही जल निगम के जेई को तलब कर हैंडपंप को तत्काल ठीक कराने और शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही लापरवाही पाए जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत भी दिए।
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सम्पूर्ण समाधान दिवस की अध्यक्षता जिला विकास अधिकारी चंद्रमणि वर्मा ने की। इस दौरान, कुल 64 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से मात्र 7 मामलों का ही मौके पर निस्तारण हो सका। शेष मामलों के शीघ्र समाधान के लिए संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए। विभागवार आंकड़ों पर नजर डालें तो राजस्व से जुड़े 28, पुलिस के 18, विकास के 5, शिक्षा का 1, आपूर्ति के 4 तथा अन्य 8 मामले दर्ज किए गए। राजस्व संबंधी मामलों के निस्तारण के लिए विशेष राजस्व टीम का गठन किया गया है, जबकि पुलिस से जुड़े मामलों में जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
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कार्यक्रम में एसडीएम केशरी नंदन तिवारी, तहसीलदार राकेश कन्नौजिया, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी धर्मेंद्र कुमार सिंह, बीडीओ सत्यकाम तोमर, अधीक्षक डॉ. व्यास कुशवाहा, डॉ. सतीश सिंह, एसएचओ अश्वनी पाण्डेय, थानेदार महेश कुमार चौबे, ईओ सूर्यकांत सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। सम्पूर्ण समाधान दिवस में गंदे पानी की यह घटना न सिर्फ प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं।