Mahrajganj News: केंद्र सरकार की योजना तालों में बंद, अधिकारियों की लापरवाही की सजा भुगत रहे ग्रामीण

महराजगंज के गांवों में स्वच्छ भारत मिशन का सपना अधूरा है। सामुदायिक शौचालय ताले में बंद या अध-निर्मित हैं। अधिकारियों की लापरवाही और कागजी कार्यवाही से सरकारी बजट बर्बाद हो रहा है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 2 July 2025, 10:59 AM IST
google-preferred

Maharajganj: केंद्र व प्रदेश सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना, गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने और गांवों को स्वच्छ व सुंदर बनाने का सपना महराजगंज में ताले मे बन्द होता दिख रहा। सिर्फ कागजों में ही इस सपने के साकार होने के आसार दिख रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गांवों की पगडंडियों को साफ सुथरा व वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए समुदायिक शौचालयों को बनवाने के लिए बजट जारी किया गया, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल बीतने वाला है, लेकिन अधिकांश गांवों मे सामुदायिक शौचलय बन्द पड़े हुए है। कहीं अर्ध- निर्मित शौचालय हैं तो कहीं सुविधाओ का अभाव है।

सामुदायिक शौचालय पर लगा ताला

वहीं लक्ष्मीपुर ब्लॉक के पिपरहवा गांव के सामुदायिक शौचालय को लेकर ग्रामीणों ने बताया की पूरे कार्यकाल में ये शौचालय नहीं खुला। शौचालय के दरवाजे पर ताला लटका है। गांव के लोगों को बाहर शौच करने जाना पड़ता है, बरसात के दिनों में यह स्थिति दुभर हो जाती है। महिलाओ को भी दिक्कत झेलनी पड़ती है। अगर अधिकारी और गांव के जिम्मेदार ध्यान देते तो सरकार की इस योजना का बजट यूं ही बर्बाद नहीं होता।

दूसरी तरफ, गांव के प्रधान अशोक यादव ने बताया की ग्रामीण झूठ बोल रहे हैं, शौचालय खुलता है।

बता दें कि इस तरह की स्थिति किसी एक गांव की नहीं हैं बल्कि पूरे ब्लॉक मे दर्जनों गांवों की स्थिति यही है। सिर्फ कागजों में पूर्ण दिखाकर अधिकारी अपनी इतिश्री पूरी कर लेते हैं।

ग्रामीणों ने लगाया ये आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि ब्लॉक के ADO पंचायत का हर बार की तरह रटा रटाया बयान दिया जाता हैं। जांच कर कारवाई की जायेगी। लेकिन ये जांच इस पूरा कार्यकाल बीतने को है, लेकिन जो इन चार वर्षों मे नहीं कर पाए तो अब क्या करेंगे।

ग्राम सचिव ने दिया आश्वासन

उक्त गांव के सचिव प्रबल प्रताप ने बताया की अभी उनकी नई जॉयनिंग हुई है। जल्द से जल्द सभी शौचालयों को खोलने और अपूर्ण कार्य को पूर्ण कराया जायेगा।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है की इन शौचालयों की देख-रेख के लिए रखे गए केयर टेकर को बकायदा मानदेय 6000 और साफ-सफाई के लिए 3000 जारी कर दिये जाते हैं, लेकिन ये मौके पर नहीं देखा जाता की स्थिति क्या है?
जो कि जांच का विषय है की ब्लॉक के अधिकारी कितने गांवो मे भुगतान कर रहे हैं? लेकिन सरकारी बजट से बने सामुदायिक शौचालय का गांव की जनता कब इससे इस्तेमाल कर पाएगी इसका भगवान ही मालिक है।

Location : 

Published :