

लखनऊ में बिजली कर्मियों की हड़ताल से हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे में इस भीषण गर्मी में जनता का हाल बेहाल है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर
लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों भीषण गर्मी के साथ बिजली संकट ने आम जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। निजीकरण के विरोध में विद्युत विभाग के संविदा कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है, जिससे शहर के कई इलाकों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है। बीती रात आई तेज आंधी और मूसलाधार बारिश के चलते जगह-जगह पेड़ गिरने और बिजली के तार टूटने की घटनाएं सामने आईं, लेकिन मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका क्योंकि संविदा कर्मी हड़ताल पर हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सरोजनीनगर, पारा, मोहनलालगंज, कुर्सी रोड, नादरगंज, चौक, दुबग्गा और गोसाईगंज जैसे इलाकों में बिजली पूरी तरह गुल है। तकरीबन पाँच लाख की आबादी प्रभावित हो चुकी है। इन इलाकों में लोगों को पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, गर्मी के कारण पंखे, कूलर और एसी बंद हो जाने से खासतौर पर बुज़ुर्ग, महिलाएं और छोटे बच्चे बेहद परेशान हैं।
संविदा कर्मचारी निजीकरण का विरोध कर रहे हैं और उनकी मांग है कि सरकार उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए स्थायी नियुक्ति और बेहतर वेतन की व्यवस्था करे। कर्मचारियों का कहना है कि यदि निजीकरण हुआ तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। इसी मुद्दे पर वे हड़ताल पर हैं और काम पर लौटने से इनकार कर रहे हैं।
सरकार और बिजली विभाग की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जनता का कहना है कि संविदा कर्मियों की मांगें अपनी जगह सही हो सकती हैं, लेकिन इसका खामियाजा आम जनता को क्यों भुगतना पड़े?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार संविदा कर्मियों की शर्तों को मानेगी या फिर जनता को इस भीषण गर्मी में ऐसे ही बेहाल रहना पड़ेगा? साथ ही यह भी विचारणीय है कि क्या किसी आंदोलन को सफल बनाने के लिए आम जनता को तकलीफ देना उचित है?
लखनऊ की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। जरूरत है कि सरकार जल्द से जल्द बातचीत कर कोई समाधान निकाले ताकि बिजली आपूर्ति बहाल हो और जनता को राहत मिल सके। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो इससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएगा।