

नगीना तहसील में लेखपालों ने SDM नितिन कुमार को हटाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है और कलमबंद हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी शिकायत है कि अधिकारी समय पर काम नहीं लेते और बस्ते नहीं स्वीकार करते हैं।
लेखपालों का धरना
Bijnor: बिजनौर जिले के नगीना तहसील में लेखपालों के बेमियाद धरना प्रदर्शन ने आखिरकार सुर्खियाँ खींच ली हैं। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने शनिवार सुबह से SDM नितिन कुमार को नगीना से हटाने की मांग करते हुए लेखपालों की कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी है। धरना कुछ पहले से चल रहा है, लेकिन शनिवार की सुबह 10 बजे से यह अनिश्चितकालीन आन्दोलन में तब्दील हो गया, जिसमें सभी लेखपाल शामिल हैं। उनका कहना है कि जब तक SDM नितिन कुमार को हटाया नहीं जाता, किसी भी प्रकार का लेखापरी कार्य नहीं किया जाएगा “कलमबंद हड़ताल” की इस नीति के तहत।
लेखपालों की मुख्य मांग है कि SDM नितिन कुमार को हटाया जाए। उनका आरोप है कि SDM नितिन कुमार की कार्यशैली लेखपालों के ऊपर अनुचित दबाव बनाती है और लेखपालों के काम में बाधा उत्पन्न करती है। लेखपालों ने यह भी कहा है कि अधिकारी व्यवहार नहीं कर रहे हैं, बस्ते नहीं लिए जा रहे हैं, और लेखपालों को अपने दैनिक काम करने में बाधाएँ आ रही हैं। उनकी भाषा में “जब तक SDM नगीना को हटाया नहीं जाएगा, तब तक हम कोई काम न करके कलमबंद हड़ताल पर बैठे रहेंगे और धरने पर बने रहेंगे।” वे यह तर्क देते हैं कि लेखपालों की मेहनत की कमाई ही उनका बस्ता होता है और उसे जमा करना ही उनका अधिकार है।
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अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान कार्यालयों से सामने नहीं आया है। न न तो SDM ने खुलकर कोई प्रतिक्रिया दी है, न ही जिलाधिकारी ने कुछ कहा है। इस मौनता के कारण लेखपालों में असमय काम और स्थानीय जनता में अनिश्चितता बढ़ गई है। इस आंदोलन का प्रभाव आम जनता पर भी पड़ रहा है। लेखपालों के काम न करने से जमीन किस्त, भू राजस्व, रिकॉर्ड अद्यतन जैसे कई शासन कार्यों में देरी हो रही है। किसान, ग्रामीण और मुद्दा रखने वाले लोग परेशान हैं क्योंकि सरकारी योजनाओं से लाभ पाने या दस्तावेज प्राप्त करने में विघ्न आ रहा है।
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