यूपी के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में कोडीन कफ सिरप प्रकरण के बाद दवाओं की रैंडम टेस्टिंग तेज, क्वालिटी पर कड़ी नजर

वाराणसी के बाद लखनऊ के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज केजीएमसी ने दवाओं की मॉनिटरिंग और कड़ी कर दी है। अब अस्पताल में आने वाली हर दवा बैचवार जांच से गुजरेगी। डॉक्टरों को भी केवल टॉप–स्टैंडर्ड दवाएं लिखने के निर्देश दिए गए हैं।

Updated : 10 December 2025, 1:30 PM IST
google-preferred

Lucknow: वाराणसी में कोडीन कफ सिरप से जुड़ा मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी), लखनऊ ने दवाओं की गुणवत्ता को लेकर अपनी निगरानी और अधिक सख्त कर दी है। देशभर में दवाओं की सुरक्षा को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच केजीएमसी प्रशासन अब अस्पताल में उपलब्ध हर दवा की क्वालिटी सुनिश्चित करने पर जोर दे रहा है।

केजीएमसी में कई स्तर पर सख्त व्यवस्था लागू

केजीएमसी के प्रवक्ता केके सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि संस्थान ने पहले से ही कई स्तर पर सख्त व्यवस्था लागू कर रखी है, लेकिन कोडीन सिरप प्रकरण के मद्देनजर अतिरिक्त निगरानी और सतर्कता बढ़ाई गई है। उनके अनुसार, अस्पताल में भर्ती मरीजों को दवाएं केवल अस्पताल के अधिकृत फार्मेसी स्टोर से ही उपलब्ध कराई जाती हैं। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि बाहर से आने वाली संदिग्ध या निम्न-गुणवत्ता वाली दवाओं को अस्पताल परिसर में प्रवेश ही न मिले।

Codeine Syrup Racket Exposed: कोडीन कफ सिरप का किंगपिन का बड़ा खुलासा, देखिए ग्राउंड जीरो से इंटरनेशनल ड्रग कार्टल की पूरी पड़ताल

उन्होंने बताया कि दवाओं की समय-समय पर रैंडम जांच कराई जाती है। इस जांच में यदि किसी बैच की गुणवत्ता में खामी पाई जाती है तो उसे तुरंत स्टोर से हटा दिया जाता है और संबंधित कंपनी को वापस कर दिया जाता है। सिंह ने स्पष्ट किया कि "अस्पताल में किसी भी तरह की संदिग्ध दवा रखने की कोई संभावना नहीं छोड़ी जाती।"

King George's Medical College

किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (फोटो सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)

सीधा खरीद मॉडल से घटता है जोखिम

केजीएमसी प्रशासन ने यह भी बताया कि संस्थान दवा खरीद में "डायरेक्ट परचेज मॉडल" अपनाता है। यानी दवाएं हमेशा सीधे निर्माता कंपनियों से ही खरीदी जाती हैं, जिससे बीच के किसी बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाती है। इससे न केवल दवाओं की कीमत नियंत्रित रहती है, बल्कि गुणवत्ता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है।

केके सिंह ने कहा, "जब दवा सीधे मैन्युफैक्चरर से आती है तो उसके गुणवत्ता मानकों पर भरोसा अधिक होता है। मिडिल मेन या थर्ड-पार्टी के जुड़ने से जो जोखिम बढ़ जाता है, वह यहां लगभग समाप्त हो जाता है। हमारा उद्देश्य हमेशा मरीजों को सुरक्षित और विश्वसनीय दवाएं उपलब्ध कराना है।"

सिरप मामले के बाद डॉक्टर भी हुए अधिक सतर्क

कोडीन कफ सिरप मामले के खुलासे का असर अब डॉक्टरों की प्रिस्क्रिप्शन तक दिखाई देने लगा है। केजीएमसी के डॉक्टर अब मरीजों को केवल उच्च गुणवत्ता और भरोसेमंद कंपनियों की दवा लिखने को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रवक्ता के अनुसार, संस्थान ने चिकित्सकों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं कि वे ऐसे ब्रांड चुनें जिनकी गुणवत्ता पर कोई सवाल न उठता हो और जिनका रिकॉर्ड उत्कृष्ट हो।

उन्होंने कहा, "हमारे डॉक्टर हमेशा से ही मानक दवाएं लिखते हैं, लेकिन इस घटना के बाद अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। जहां भी संदेह होता है, तुरंत फार्मेसी टीम से चर्चा कर दवा की क्वालिटी को दोबारा परखा जाता है।"

Codeine Syrup Racket Exposed: कोडीन कफ सिरप का किंगपिन का बड़ा खुलासा, देखिए ग्राउंड जीरो से इंटरनेशनल ड्रग कार्टल की पूरी पड़ताल

रोगियों की सुरक्षा सर्वोपरि

केजीएमसी प्रशासन का कहना है कि मरीजों की सुरक्षा उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में एक भी दवा की गुणवत्ता में कमी मरीजों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। इसलिए अस्पताल की दवा आपूर्ति प्रणाली को लगातार मॉनिटर किया जा रहा है और आवश्यकता पड़ने पर नियम और अधिक कठोर किए जाएंगे। केके सिंह ने कहा, "एक बड़ी मेडिकल यूनिवर्सिटी होने के नाते हम पर लाखों लोगों का भरोसा है। हम यह सुनिश्चित करते रहेंगे कि मरीजों तक वही दवा पहुंचे जो पूरी तरह सुरक्षित और गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरती हो।"

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 10 December 2025, 1:30 PM IST