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कानपुर के रमईपुर में अनोखी पहल; कचरे से कमाई, गांव में बढ़ी सफाई, स्वच्छता के साथ आत्मनिर्भरता

कानपुर के रमईपुर गांव ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और रिसोर्स रिकवरी सेंटर की स्थापना की है। इस पहल से पंचायत ने प्लास्टिक और वर्मी कम्पोस्ट से 31,000 रुपये की आय अर्जित की है, जिससे स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए हैं।
Post Published By: Tanya Chand
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कानपुर के रमईपुर में अनोखी पहल; कचरे से कमाई, गांव में बढ़ी सफाई, स्वच्छता के साथ आत्मनिर्भरता

Kanpur: उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर की विधनू ब्लॉक की रमईपुर ग्राम पंचायत अब सिर्फ स्वच्छता का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का भी उदाहरण बन चुकी है। यहां एक ऐसा मॉडल तैयार हुआ है, जहां कूड़े-कचरे को न केवल ठिकाने लगाया जा रहा है, बल्कि उसे आय के साधन में बदल दिया गया है। बता दें कि जिला अधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट एवं आरआरसी सेंटर का जायजा लिया और इसे अधिक प्रभावी बनाने के संबन्ध में आवश्यक निर्देश दिए।

इस तरह से चला फेज टू अभियान

गांव में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज–2 योजना के अंतर्गत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और रिसोर्स रिकवरी सेंटर स्थापित किए गए हैं। यह दोनों केंद्र अब ग्राम पंचायत के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। डीपीआरओ मनोज कुमार ने डीएम को अवगत कराया कि ग्राम पंचायत द्वारा 16 लाख रुपये की लागत से यूनिट का निर्माण हुआ और मशीनें खरीदी गईं। इसके बाद से प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का काम सुचारू रूप से शुरू हो गया।

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पिछले कुछ महीनों में ही यूनिट पर 9.5 टन प्लास्टिक अपशिष्ट एकत्र कर बैलिंग और श्रेडिंग की प्रक्रिया से गुजारा गया। ग्राम पंचायत ने नेचर नेक्स्ट फाउंडेशन और स्थानीय कबाड़ियों से समझौता किया है, जिससे प्लास्टिक की बिक्री हो सके। अब तक केवल प्लास्टिक से 6,000 रुपये की आमदनी पंचायत को हो चुकी है। साथ ही कचरे से तैयार वर्मी कम्पोस्ट ने भी आय का नया रास्ता दिखाया है। लगभग 2,000 किलो वर्मी कम्पोस्ट बेचकर पंचायत ने 25,000 रुपये से अधिक अर्जित किए हैं।

तेजी से बदली तस्वीर

गांव में स्वच्छता की तस्वीर भी तेजी से बदली है। करीब 425 घरों से नियमित कूड़ा उठान की व्यवस्था की गई है। ग्रामीण गाड़ियों में कचरा डालते हैं, जिसे सीधे आरआरसी सेंटर ले जाया जाता है। खास बात यह है कि लगभग 350 ग्रामीण परिवार स्वेच्छा से 30 रुपये का मासिक यूजर चार्ज भी जमा कर रहे हैं। इससे पंचायत के ओएसआर खाते में डेढ़ लाख रुपये से अधिक राशि संरक्षित हुई है।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले प्लास्टिक नालियों में भर जाता था, जिससे पानी रुकता और गंदगी फैलती थी। अब यह समस्या लगभग खत्म हो चुकी है। बच्चे भी अब गलियों में साफ-सुथरे माहौल में खेलते नजर आते हैं।

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डीएम ने की प्रशंसा

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि रमईपुर का यह मॉडल अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणादायी है। यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा, बल्कि पंचायतों की आमदनी भी बढ़ाएगा।

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