हैलट अस्पताल में जूनियर डॉक्टर ने जिंदा मरीज को मृत घोषित कर दिया, जिससे हड़कंप मच गया। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित कर दिया और जांच के आदेश दिए हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

हैलट अस्पताल
Kanpur: हैलट अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही ने एक गंभीर घटना को जन्म दिया है, जिसके बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जूनियर डॉक्टर सहित दो स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही, मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। प्रशासन ने इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट तीन दिन के अंदर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला हैलट अस्पताल के मेडिसिन वार्ड का है। वार्ड नंबर 12 में दो लावारिस रोगी भर्ती थे, जिनमें से एक 42 वर्षीय विनोद और दूसरा 60 वर्षीय वृद्ध मरीज था। दोनों रोगी डॉक्टर ब्रजेश कुमार की यूनिट में भर्ती थे। 60 वर्षीय वृद्ध मरीज की मृत्यु हो गई, लेकिन अस्पताल के जूनियर डॉक्टर ने बिना किसी जांच के विनोद को भी मृत घोषित कर दिया और उसे मृत बताकर पुलिस को सूचना भेज दी।
पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचित किया और शव लेने के लिए उन्हें अस्पताल बुलाया। जब परिजनों ने अस्पताल में अपने रिश्तेदार को जिंदा देखा, तो सभी के होश उड़ गए। यह घटना अस्पताल की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति को उजागर करती है।
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मामले के सामने आने के बाद, अस्पताल प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित जूनियर डॉक्टर और एक अन्य कर्मचारी को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो तीन दिन में अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन को प्रस्तुत करेगी।
प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि "स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।" उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल प्रशासन को मामले की पूरी जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं और दोषी कर्मचारियों को दंडित किया जाएगा।
इस घटना के बाद, अस्पताल की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों की जिंदगी से जुड़ी ऐसी लापरवाही ना केवल घातक हो सकती है, बल्कि यह अस्पताल की कार्यशैली और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। साथ ही, मरीजों के परिजनों ने भी इस लापरवाही को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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जिन स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित किया गया है, उन्होंने अपनी लापरवाही को लेकर खेद जताया है, हालांकि उनका कहना था कि उन्होंने स्थिति का आकलन किया था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से गलती हो गई। निलंबन के बाद, अस्पताल प्रशासन ने दोनों कर्मचारियों की छुट्टी पर जाने की पुष्टि की है और बताया है कि उनकी लापरवाही की जांच जारी रहेगी।
गोरखपुर और कानपुर में हाल ही में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें लापरवाही और अनदेखी के चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि इस तरह की घटनाओं में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।