Jhansi News: झांसी में लोक अदालत का आयोजन, 23 साल पुराने सिविल मामले का 9 मिनट में समाधान

उत्तर प्रदेश के झांसी में लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें कई पेंडिंग पड़े मामलों को निपटाया गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 11 May 2025, 2:36 PM IST
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झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में आयोजित लोक अदालत ने न्याय की नई मिसाल कायम की गई। इस दिन इस दिन हुई प्रक्रिया में 23 वर्ष पुराने एक सिविल मामले को महज 9 मिनट में ही सुलझा लिया गया। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मुकदमा समाप्त करने पर राजी हो गए। इसके अलावा, लंबे समय से चल रहे पारिवारिक विवाद भी इस लोक अदालत में समाप्त हुए।कई जोड़े अपने रिश्ते को मजबूत करने के लिए राजी हुए, और वे कोर्ट से साथ ही अपने घरों की ओर रवाना हो गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,  इस लोक अदालत में कुल 1,72,156 मामलों का निपटारा किया गया।

झांसी में लोक अदालत का आयोजन किया गया(लोर्स-इंटरनेट)

झांसी में लोक अदालत का आयोजन किया गया(लोर्स-इंटरनेट)

लोक अदालत का उद्घाटन और न्यायिक प्रक्रिया का महत्व

जिलाधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष कमलेश कच्छल ने सुबह लोक अदालत का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे तेज़ न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े सभी सदस्यों से इसमें सक्रिय भागीदारी करने की अपील की। इस अवसर पर नोडल अधिकारी कमल कांत श्रीवास्तव, अपर जिला जज शरद कुमार चौधरी सहित कई अन्य न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे। उनका कहना था कि ऐसी लोक अदालतें समाज में न्याय के प्रति विश्वास को मजबूत करती हैं और समय की बचत भी करती हैं।

मामले और निस्तारण की जानकारी

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शरद कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि इस दिन कुल 85 वैवाहिक, 48 अन्य सिविल वाद, 7108 शमनीय आपराधिक वाद और विभिन्न अन्य मामलों का समाधान किया गया। विशेष रूप से, 23 अन्य सिविल वाद निपटाए गए, जिनमें समझौता धनराशि के रूप में 19,085,672 रुपये का भुगतान करने का आदेश पारित किया गया। इस प्रकार, लोक अदालत की सफलता दर्शाते हुए यह साबित किया कि न्याय पाने का तरीका अब अधिक आसान और तेज़ हो गया है।

झांसी में आयोजित इस लोक अदालत ने साबित कर दिया कि पारंपरिक न्याय प्रणाली के साथ-साथ लोक अदालतें भी समाज में न्याय की सेवा में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इससे लंबित मामलों का शीघ्र समाधान संभव हो रहा है और सामाजिक व पारिवारिक विवादों का स्थायी समाधान भी मिल रहा है।

मुख्य न्यायालय में विभिन्न प्रकार के मामलों की संख्या

मुख्य न्यायालय में कुल मामलों की संख्या में विभिन्न श्रेणियों में बंटवारा किया गया है। आपराधिक वादों की संख्या 1125 है, जबकि विद्युत उपभोक्ता वाद 8915 दर्ज किए गए हैं। श्रम विवादों की संख्या 37 है। जनहित गारंटी अधिनियम के तहत मामलों की संख्या बहुत अधिक है, जो 60445 है। बैंक ऋण से संबंधित मामलों की संख्या 904 है। पारिवारिक मामलों की संख्या 85 है, जबकि मोबाइल बिल संबंधी मामलों की संख्या 43 है। मोटर दुर्घटना दावों की संख्या 18 है। विद्युत वाद 277 हैं।

विभिन्न अदालतों में निपटे मामलों का विवरण

अदालतों में निपटे मामलों की संख्या भी उल्लेखनीय है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुन्ना लाल ने 3800 मामले निपटाए हैं। अपर सिविल जज अनिल कुमार सप्तम ने 1609, जबकि सिविल जज गरौठा रामगोपाल यादव ने 647 मामले निपटाए हैं। रेलवे से जुड़े मामलों में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण कांति यशोदासवले ने 1791, न्यायिक मजिस्ट्रेट अमन राय ने 1816, और अपर सिविल जज प्रेरणा यादव ने 1502 मामले निपटाए हैं। ग्राम न्यायालय टहरौली के न्यायाधिकारी श्रेयांश निगम ने 2605, सिविल जज गरौठा निदा जैदी ने 529, मऊरानीपुर की सिविल जज अरुणा सिंह ने 1092, और शुभम मोंठ ने 1306 मामलों का निपटारा किया है।

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