लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से एक दिल दहलाने वाला मामला देखने को मिला है, जहां एक व्यक्ति ने कर्ज में डूबने के कारण आत्महत्या (Suicide) कर ली। बता दें कि व्यक्ति ने ट्रेन से कटकर जान दे दी, क्योंकि उस पर एक फाइनेंस कंपनी का लोन बकाया था। समय पर जमा न करने पर कंपनी के कर्मचारियों ने उसका ई-रिक्शा जब्त कर लिया था। इससे आहत युवक ने आत्महत्या का यह कदम उठाया।
मृतक की हुई पहचान
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक, उचौलिया क्षेत्र (Ucholiya Area) के गांव बवक्करपुर निवासी 22 वर्षीय नरोत्तम पाल पुत्र रामसागर करीब नौ बजे रोजा-सीतापुर रेल लाइन स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन से कटकर जान दे दी।
जीआरपी मौके पर पहुंची
पायलट की सूचना पर उचौलिया पुलिस और जीआरपी मौके पर पहुंची। घटनास्थल जीआरपी क्षेत्र में होने के कारण जीआरपी चौकी रोजा की पुलिस शव को कब्जे में लेकर शाहजहांपुर ले गई। पुलिस ने शव की शिनाख्त कराई तो परिजनों को पता चला।
घर में मचा कोहराम
नरोत्तम की मौत की खबर से घर में कोहराम मच गया। नरोत्तम की मां रजनी देवी ने बिलखते हुए बताया कि नरोत्तम ई-रिक्शा लेकर गया था। इसके बाद दोपहर में खाना खाने आया था। परिजन ने बताया कि दो लोग घर आए थे। बाद में वह लोग नरोत्तम से ई-रिक्शा जबरन ले गए। इस कारण वह परेशान था। शाम को वह घर भी नहीं आया।
रात के खाने तक नहीं आया नरोत्तम
मां रजनी ने बताया कि शाम आठ बजे खाना बनने पर नरोत्तम नहीं आया, तो उसको तलाश किया। मगर, उसका कहीं पता नहीं चला। मोबाइल भी स्विच ऑफ था। कुछ देर बाद उसके ट्रेन से कटने की खबर आई। इधर, जीआरपी रोजा शाहजहांपुर प्रभारी अभिषेक पांडे ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
नरोत्तम की मां का बयान
नरोत्तम की मां रजनी देवी ने बताया कि नरोत्तम ने तीन माह पहले पुराना ई-रिक्शा देकर नया ई-रिक्शा किश्त पर खरीदा था। जिसकी पहली किश्त 12 दिन विलंब से नौ अप्रैल को जमा की थी। दूसरी किश्त भी जमा करने वाला था, लेकिन फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने इससे पहले ही ई-रिक्शा खड़ा करा लिया। इसके बाद यह घटना हो गई।
चार भाइयों में दूसरे नंबर पर था नरोत्तम
नरोत्तम चार भाइयों में दूसरे नंबर पर था। अभी उसका विवाह नहीं हुआ था। बड़ा भाई पुरुषोत्तम और छोटा भाई अखिलेश रोजगार के सिलसिले में बाहर गए हैं। घर पर मां-पिता और छोटा भाई प्रांजल है। प्रांजल ने बताया कि गांव के पास मिले नरोत्तम ने घर पर रखने को अपनी पर्स उसे दे दी। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला।

