

शारदीय नवरात्रि का समापन गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ हो गया। गुरुवार को जिले के बेलघाट, उरुवा और बांसगांव क्षेत्र सहित कई स्थानों पर स्थित पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन करने के बाद श्रद्धालुओं ने जयकारों, ढोल-नगाड़ों और बाजे-गाजे की गूंज के बीच धूमधाम से प्रतिमाओं का विसर्जन किया। पढिए पूरी खबर
मां दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन
गोरखपुर: शारदीय नवरात्रि का समापन गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ हो गया। गुरुवार को जिले के बेलघाट, उरुवा और बांसगांव क्षेत्र सहित कई स्थानों पर स्थित पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन करने के बाद श्रद्धालुओं ने जयकारों, ढोल-नगाड़ों और बाजे-गाजे की गूंज के बीच धूमधाम से प्रतिमाओं का विसर्जन किया। उत्सवमय माहौल में भक्तों ने मां को विदाई दी और सुख-समृद्धि की कामना की।
विसर्जन प्रक्रिया को शांति व सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न
उरुवा और बेलघाट थाना क्षेत्र के साथ-साथ बांसगांव थाना क्षेत्र की प्रतिमाओं का विसर्जन धुरियापार कुआनो सेतु से कुआनो नदी में संपन्न हुआ। वहीं, धुरियापार से दक्षिण दिशा की ओर स्थित कई गांवों की प्रतिमाओं का विसर्जन बनकटी में सरयू नदी के तट पर किया गया। खास बात यह रही कि धुरियापार पुल का आधा हिस्सा उरुवा थाना क्षेत्र तो आधा हिस्सा बेलघाट थाना क्षेत्र में आता है। इसी कारण सुरक्षा की दृष्टि से यहां दोनों थानों की पुलिस ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाला और विसर्जन प्रक्रिया को शांति व सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न कराया।
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महिला कांस्टेबल विभाग
उरुवा थाने की ओर से एसआई कुसुमेन्दर के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल विजय यादव, कांस्टेबल रामनरायण शुक्ला, मो. इस्राफील, नादिर अली, विनय पटेल के साथ होमगार्ड मुरलीधर शुक्ला, घनश्याम यादव और पीआरडी की महिला जवान मंजू तैनात रहीं। वहीं बेलघाट थाने से थानाध्यक्ष विकास नाथ के नेतृत्व में एसआई राधेश्याम सेहरा, नादिर अली, कांस्टेबल रामप्रवेश, अनिल यादव, वीरेंद्र कुमार यादव, अशोक कुमार, विकास कुमार तथा महिला कांस्टेबल विभाग सुरक्षा व्यवस्था में डटे रहे।
महिलाएं ढोल-नगाड़ों की ताल पर झूमे
विसर्जन जुलूस में शामिल भक्तों ने मां दुर्गा की जय-जयकार के साथ धार्मिक भजनों पर नृत्य कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। बच्चे, युवा और महिलाएं ढोल-नगाड़ों की ताल पर झूम उठे। श्रद्धालुओं ने कहा कि मां दुर्गा की विदाई केवल एक परंपरा है, दरअसल यह उनके घर-घर व दिल-दिल में स्थायी निवास का प्रतीक है।
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कई स्थानों पर देर शाम तक विसर्जन का क्रम चलता रहा। जिन पंडालों में गुरुवार को प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो पाया, वहां शुक्रवार को विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्रशासन और पुलिस की चौकस व्यवस्था से कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। ग्रामीणों ने भी पुलिस प्रशासन के सहयोग की सराहना की। मां दुर्गा की विदाई के साथ ही पूरे इलाके में अगले वर्ष फिर से भव्य आयोजन की तैयारियों की चर्चा शुरू हो गई। श्रद्धा, उल्लास और सुरक्षा प्रबंधन के बीच यह उत्सव लोगों के लिए यादगार बन गया।