

बाराबंकी जिले में वन विभाग की मिलीभगत से हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई का सिलसिला लगातार जारी है। महिलाएं वन क्षेत्राधिकारी भी कटाई रोकने में असमर्थ हैं। जब यह मामला सुर्खियों में आया, तो विभाग ने कागजी कार्रवाई कर ली।
जंगलों में लूट मचाते लकड़कट्टे
Barabanki: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के वन क्षेत्र में वन माफियाओं के हाथों में हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई की गतिविधियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से लकड़कट्टे प्रतिबंधित पेड़ों पर आरा चला रहे हैं और सरकार की नज़रें इन घटनाओं से पूरी तरह अनजान बनी हुई हैं। बाराबंकी के विभिन्न वन क्षेत्रों जैसे काजीपुर, नहामऊ, तिलोकपुर, अमलोरा और अन्य जगहों पर ये घटनाएँ घट चुकी हैं और इस मुद्दे ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है।
यह सिलसिला खासतौर पर वन क्षेत्र में तैनात महिला वन क्षेत्राधिकारी (एफ.आर.ओ.) के अधीन चल रहा है, जिन्होंने इस मुद्दे को अनदेखा कर दिया है। आरोप है कि वह न केवल लकड़कट्टों पर नियंत्रण स्थापित करने में नाकाम रही हैं, बल्कि उनके विभाग से भी अवैध गतिविधियों को संरक्षण मिल रहा है। जब भी सोशल मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से ये मामले सुर्खियों में आते हैं, तो विभाग मात्र कागजी कार्रवाई कर मामले को रफा-दफा कर देता है। यही कारण है कि अवैध कटान का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
हाल ही में एक और घटना ने सबका ध्यान खींचा है, जब कस्बे के समीप पीपल के दो पवित्र और बड़े पेड़ों को काटकर गायब कर दिया गया। पीपल का पेड़ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह मानवता के लिए भी जीवनदायिनी साबित होता है क्योंकि यह पेड़ ऑक्सीजन का स्त्रोत होता है। इन पेड़ों को रातों-रात काट कर उनकी लकड़ियां भी गायब कर दी गईं। इसके बाद जब स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में इसकी शिकायत करने लगे, तो वन विभाग ने मामूली जुर्माना लगाकर मामले को निपटा लिया।
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इसके कुछ ही दिनों बाद, उसी बाग में एक दर्जन से ज्यादा हरे-भरे आम के पेड़ों पर भी आरा चला दिया गया। यह सब रातों-रात हुआ और लकड़ी पूरी तरह गायब कर दी गई। इतना ही नहीं, लकड़कट्टे इतने शातिर थे कि उन्होंने पेड़ों की जड़ें भी मिट्टी में छुपा दी, ताकि किसी को कोई शक न हो। जब वन क्षेत्राधिकारी अल्पना पांडेय और डिप्टी रेंजर रोली अवस्थी मौके पर पहुंचे तो पता चला कि दी गई परमिट से कहीं ज्यादा पेड़ काटे गए थे। उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए पेड़ों के ठूठों को खुदवाकर देखा, जो भूमिगत दबे हुए थे।
वन क्षेत्राधिकारी अल्पना पांडेय ने पुष्टि की कि उन्होंने कुल 5 पेड़ों की कटाई के लिए परमिट जारी किया था, लेकिन मौके पर देखा गया कि 12 से ज्यादा पेड़ काटे गए थे। इसके बाद उन्होंने घटनास्थल की जांच की और कड़ी कार्रवाई की बात की। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उच्च अधिकारी इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए क्या कदम उठाएंगे।