

बाराबंकी के भानमऊ गांव में घरों के अंदर चल रहे अवैध बूचड़खाने प्रशासन को खुली चुनौती दे रहे हैं। दुधारू पशुओं की हत्या, गंदगी और संक्रमण से ग्रामीण परेशान हैं।
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Barabanki: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बाराबंकी जिले के कोठी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत भानमऊ में अवैध बूचड़खानों का संचालन खुलेआम जारी है। स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कुछ मीट दुकानदार लाइसेंस सिर्फ बिक्री का लेकर अपने घरों के अंदर जानवरों का अवैध वध कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक ग्राम भानमऊ में दो मीट दुकानदारों को केवल मीट बेचने का लाइसेंस प्राप्त है। लेकिन जांच में सामने आया है कि ये दुकानदार अपने घरों में ही जानवरों का वध कर रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया कानून और स्वास्थ्य मानकों के खिलाफ है। ग्रामीणों के अनुसार, यह कार्य पुलिस की मौन सहमति और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता से संभव हो रहा है।
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लखनऊ से नियमित रूप से मीट की आपूर्ति के बावजूद, स्थानीय दुकानदार ताजा मीट के नाम पर दुधारू पशुओं का वध कर रहे हैं। इससे न सिर्फ कानूनी नियमों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि पशु क्रूरता अधिनियम और गौवंश संरक्षण कानून का भी खुला मखौल उड़ाया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दुकानदार दूरदराज से तस्करी कर लाए गए पशुओं का भी वध करते हैं और फिर उन्हें मीट के तौर पर बेचते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन अवैध बूचड़खानों से निकलने वाली गंदगी, खून और दुर्गंध ने पूरे गांव का माहौल बिगाड़ दिया है। संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।गांव के एक निवासी ने बताया कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह माहौल बेहद खतरनाक हो गया है। हर रोज़ हम गंदगी और सड़ांध से परेशान हैं। प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।
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जब इस विषय में प्रशासन से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि बाराबंकी जिले में कोई भी बूचड़खाना संचालित नहीं हो रहा है। लेकिन भानमऊ की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह मामला ऊपरी संरक्षण और मिलीभगत का प्रतीक बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में ही प्रदेश में सभी अवैध बूचड़खानों को बंद करने का सख्त आदेश दिया था। लेकिन भानमऊ में यह आदेश कागजों तक ही सीमित रह गया है। यहां कानून को ठेंगा दिखाते हुए यह कारोबार धड़ल्ले से जारी है। अब सवाल यह है कि जब सरकार सख्ती के दावे करती है तो फिर ऐसे अवैध काम कैसे और किसके संरक्षण में चल रहे हैं?