गोरखपुर : विश्वविद्यालय में आदेशों की धज्जियां, कुलसचिव का आदेश मानने से इंकार कर रहे कर्मचारी

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की मनमानी एक बार फिर खुलकर सामने आई है। 19 सितम्बर को विश्वविद्यालय कुलसचिव ने 23 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन करते हुए तत्काल प्रभाव से संबंधित विभाग में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश जारी किया था। पढिए पूरी खबर

गोरखपुर:  दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की मनमानी एक बार फिर खुलकर सामने आई है। 19 सितम्बर को विश्वविद्यालय कुलसचिव ने 23 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन करते हुए तत्काल प्रभाव से संबंधित विभाग में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश जारी किया था। लेकिन हैरत की बात है कि कर्मचारियों ने इस आदेश को गंभीरता से लेने के बजाय मजाक समझ लिया और आज तक अपने मूल पदस्थापन वाले पटल से हटने को तैयार नहीं हैं।

प्रशासनिक अनुशासन की धज्जियां

जानकारी के मुताबिक,  विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा थी कि पटल परिवर्तन से कार्यकुशलता बढ़े और विभागीय कामकाज बेहतर ढंग से संचालित हो। लेकिन आदेश जारी होने के बावजूद कर्मचारी अपने पुराने पटल पर ही जमे हुए हैं। यह रवैया न केवल प्रशासनिक अनुशासन की धज्जियां उड़ाता है बल्कि विश्वविद्यालय की छवि पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

पटल पर कार्यरत कर्मचारी बदलाव

जानकार बताते हैं कि विश्वविद्यालय में लिपिक संवर्ग का प्रभाव इतना गहरा है कि अधिकारी भी इनके आगे बेबस नजर आते हैं। वर्षों से एक ही पटल पर कार्यरत कर्मचारी बदलाव को अपनी शक्ति में कमी मानते हैं। यही कारण है कि वे स्थानांतरण आदेश का पालन करने के बजाय अपने पुराने स्थान पर ही बैठकर काम कर रहे हैं। इससे यह संदेश जा रहा है कि विश्वविद्यालय में अधिकारियों से ज्यादा ताकत कर्मचारियों के पास है।

कोई कर्मचारी अपने नए विभाग में कार्यभार ग्रहण नहीं...

मजेदार लेकिन चिंताजनक स्थिति यह है कि आदेश जारी हुए चार दिन बीत चुके हैं, फिर भी कोई कर्मचारी अपने नए विभाग में कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाया है। विश्वविद्यालय के अंदरखाने की मानें तो अधिकारियों में भी कार्रवाई की हिम्मत नहीं है, क्योंकि उन्हें कर्मचारियों के संगठित विरोध का डर सता रहा है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की साख को गहरी चोट

यह घटनाक्रम विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली और अनुशासन पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। अगर कर्मचारी ही आदेश मानने से इंकार करने लगें तो फिर प्रशासन की भूमिका केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित रह जाएगी। इस प्रकरण ने विश्वविद्यालय प्रशासन की साख को गहरी चोट पहुंचाई है और यह संदेश दे दिया है कि यहां आदेश नहीं, बल्कि कर्मचारियों की मनमानी चलती है।

कर्मचारी वर्ग पर अनुशासनात्मक कार्रवाई

फिलहाल सवाल यही है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस चुनौती से कैसे निपटेगा। क्या कर्मचारी वर्ग पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी या फिर अधिकारी उनकी मनमर्जी के आगे झुक जाएंगे? जो भी हो, कुलसचिव का आदेश न मानना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए गंभीर संकट का संकेत है।

Location : 
  • गोरखपुर

Published : 
  • 23 September 2025, 8:45 PM IST