

गोरखपुर में पुलिस की लापरवाही के मामले में एसएसपी ने तिवारीपुर थाने के एसओ और सूर्यमिहार चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया। यह कदम एसपी सिटी अभिनव त्यागी की जांच रिपोर्ट के आधार पर उठाया गया, जिसमें पाया गया कि पुलिस ने गंभीर मामले को हल्के में लिया।
दो पुलिस अधिकारी निलंबित
Gorakhpur: जिले में पुलिस की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आने के बाद एसएसपी राजकरन नय्यर ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तिवारीपुर थाने के एसओ गौरव वर्मा और सूर्यविहार चौकी प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह कदम एसपी सिटी अभिनव त्यागी की जांच रिपोर्ट के आधार पर उठाया गया, जिसमें पाया गया कि दोनों अधिकारियों ने गंभीर प्रकरण को हल्के में लिया और लापरवाही बरती।
दरअसल, यह पूरा मामला सूर्यविहार कॉलोनी का है। यहां रहने वाली रोशनी मौर्य की 17 वर्षीय बेटी पूजा को 24 अगस्त की शाम शिब्बू और शबनम नामक युवकों ने अपने साथियों के साथ मिलकर बेरहमी से पीटा। आरोप है कि मामूली कहासुनी को लेकर आरोपियों ने लड़की को इतना मारा कि उसकी बाईं आंख की रोशनी स्थायी रूप से चली गई।
परिजनों ने इस घटना की शिकायत पहले सूर्यमिहार चौकी और फिर तिवारीपुर थाने में की। लेकिन जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों ने इस गंभीर मामले को नजरअंदाज करते हुए आरोपियों के खिलाफ केवल शांति भंग की धाराओं में चालान कर दिया। इस वजह से आरोपी आसानी से जमानत पर छूट गए और बाहर आकर पीड़िता व उसकी मां को लगातार धमकाने लगे। परिवार को न्याय की जगह असुरक्षा का माहौल मिल गया।
मामले की शिकायत जब ऊपरी अधिकारियों तक पहुंची तो एसएसपी ने एसपी सिटी अभिनव त्यागी को जांच सौंपी। जांच रिपोर्ट में साफ हो गया कि स्थानीय पुलिस ने जानबूझकर गंभीर मामले को हल्के में लिया और अभियुक्तों को बचाने का प्रयास किया। यही नहीं, लापरवाही की वजह से पीड़िता के जीवन पर स्थायी असर पड़ा।
रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी राजकरन नय्यर ने सख्त कदम उठाते हुए तिवारीपुर थाने के एसओ गौरव वर्मा और सूर्यविहार चौकी प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी को तत्काल निलंबित कर दिया। फिलहाल तिवारीपुर थाने का प्रभार एसओ सूरज सिंह को सौंपा गया है।
यह कार्रवाई साफ संदेश देती है कि अब जिले में गंभीर मामलों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस अधिकारियों को यह चेतावनी है कि अगर जनता की शिकायतों को हल्के में लिया गया या अपराधियों को संरक्षण दिया गया तो कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचना नामुमकिन होगा।