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खजनी तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत उनवल से सटे कूड़ा भरत गांव और वार्ड नंबर 3 टेकवार में मुंहपका–खुरपका (FMD) बीमारी ने कहर ढा दिया है। मात्र दो दिनों में पांच मवेशियों की मौत हो चुकी है, जिससे पशुपालकों में भारी दहशत है।
मुंहपका–खुरपका फैलने से 5 पशुओं की मौत
Gorakhpur: खजनी तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत उनवल से सटे कूड़ा भरत गांव और वार्ड नंबर 3 टेकवार में मुंहपका–खुरपका (FMD) बीमारी ने कहर ढा दिया है। मात्र दो दिनों में पांच मवेशियों की मौत हो चुकी है, जिससे पशुपालकों में भारी दहशत है। गांव के लोग आरोप लगा रहे हैं कि पशु चिकित्सालय उनवल के जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी नदारद हैं तथा टीकाकरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिसके चलते बीमारी तेजी से फैलती जा रही है।
कूड़ा भरत निवासी संजय यादव और बृजलाल यादव की पड़िया, अशोक यादव की गाय, ओपी यादव की पड़िया और टेकवार निवासी बैजनाथ यादव की गाय बीमारी की चपेट में आकर तड़प-तड़प कर दम तोड़ चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय से टीकाकरण हुआ होता तो उनके पशुओं की जान बच सकती थी। लेकिन पशु चिकित्सालय उनवल की लापरवाही ने हालात को बेहद भयावह बना दिया है।
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ग्रामीणों ने बताया कि पशु चिकित्सालय पर कोई भी जिम्मेदार कर्मचारी मौजूद नहीं रहता। कई बार पहुंचने पर लोग कहते हैं कि “अभी डॉक्टर साहब कहीं बाहर गए हैं, बाद में आएंगे।” इस उदासीनता ने लोगों के भरोसे को पूरी तरह तोड़ दिया है। मजबूर होकर पशुपालक निजी दवा दुकानों से दवाएं खरीदकर अपने स्तर पर इलाज कर रहे हैं, लेकिन बीमारी तेज़ी से फैल रही है और कोई फायदा नज़र नहीं आ रहा।
पशुपालकों ने बताया कि मुंहपका-खुरपका अत्यंत संक्रामक रोग है, जो तेज़ी से फैलता है। यदि विभाग ने तत्काल टीकाकरण अभियान नहीं चलाया तो आस-पास के गांवों में भी बड़े पैमाने पर पशु मरने का खतरा है। मृत पशुओं की संख्या बढ़ने से गांव में अफरा-तफरी का माहौल है और लोग रातभर अपने मवेशियों की देखभाल में लगे हुए हैं।
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ग्रामीणों ने पशुपालन विभाग और प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि टीकाकरण टीम गांव में भेजी जाए, बीमार पशुओं का इलाज कराया जाए और पशु चिकित्सालय की कार्यशैली की जांच हो।
पशुपालकों का कहना है कि यदि स्थिति ऐसे ही बनी रही तो गांव में पशु संपदा का भारी नुकसान हो सकता है। ग्रामीण प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तुरंत राहत और चिकित्सा सहायता भेजी जाए, ताकि और पशुओं की जान बचाई जा सके।