

गोरखपुर के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने जन समस्याओं के त्वरित और गुणवत्तापूर्ण समाधान के लिए प्रशासनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बना दिया है। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी फरियादी बार-बार दफ्तरों का चक्कर न काटे।
डीएम ने सुनी फरियादियों की समस्याएं
Gorakhpur: जिलाधिकारी कार्यालय में पहुंचने वाले फरियादियों की समस्याओं का त्वरित और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करने के लिए जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। डीएम द्वारा दिए गए इन निर्देशों का असर यह हो रहा है कि फरियादियों की समस्याओं का तेजी से समाधान हो रहा है, जिसके चलते जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत लेकर आने वाले लोगों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जिलाधिकारी दीपक मीणा अपने कार्यालय में पहुंचने वाले प्रत्येक फरियादी की समस्या को गंभीरता से सुनते हैं और संबंधित विभागों के अधिकारियों को त्वरित निराकरण के लिए निर्देशित करते हैं। उनके द्वारा प्राप्त प्रार्थना पत्रों को तुरंत संबंधित विभागों के प्रभारी अधिकारियों के पास भेजा जाता है, ताकि समस्याओं का समाधान समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से हो सके।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश
डीएम ने स्पष्ट किया है कि किसी भी फरियादी को अपनी समस्या के समाधान के लिए बार-बार कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़े। इसके लिए उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों को अपने दायित्वों का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करने और प्रार्थना पत्रों का बिना किसी भेदभाव के निस्तारण करने का निर्देश दिया है।
किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं
जिलाधिकारी ने जोर देकर कहा कि अगर प्रार्थना पत्रों का समय पर और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण किया जाए, तो फरियादियों को बार-बार कार्यालयों का दौरा नहीं करना पड़ेगा। इससे न केवल फरियादियों को त्वरित और न्यायसंगत समाधान मिलेगा, बल्कि प्रशासन के प्रति उनका विश्वास भी बढ़ेगा। डीएम ने अधिकारियों को यह भी हिदायत दी कि प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या बोले डीएम?
जिलाधिकारी के इन प्रयासों से गोरखपुर में प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और जन-उन्मुख बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। डीएम ने कहा, “हर फरियादी की बात को संवेदनशीलता से सुनना हमारी प्रशासनिक जिम्मेदारी है। शिकायतों का समय पर निस्तारण न केवल जनता के विश्वास को बढ़ाता है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता का प्रतीक भी बनता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रार्थना पत्रों के समाधान में कोई भी लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई तय है।