

सूरज की पहली किरण के साथ ही गांवों की गलियों में योगा मैट बिछ गए, फिर इसके बाद जो हुआ देखने लागक हुआ। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर लोगों ने किया योग
गोरखपुर/खजनी: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गोरखपुर दक्षिणांचल की सुबह कुछ खास थी। सूरज की पहली किरण के साथ ही गांवों की गलियों में योगा मैट बिछ गए और बच्चों की किलकारियों, महिलाओं के आत्मविश्वास और बुजुर्गों की गंभीरता से पूरा इलाका जैसे एक विशाल योग केंद्र में बदल गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता अनुसार खजनी क्षेत्र के बदरा, सरयां तिवारी और आसपास के गांवों में ऐसा लगा मानो हर गली, हर नुक्कड़ योग की अनुभूति से जीवंत हो उठा हो। “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का संदेश न सिर्फ होर्डिंग में दिखा, बल्कि हर गांववाले की सांसों में बसा नजर आया।
सरयां तिवारी गांव में प्रधान प्रतिनिधि धरणी धर तिवारी की अगुवाई में हुए सामूहिक योगाभ्यास में सभी उम्र के लोग एक साथ जुटे। बच्चों की चंचलता, युवाओं की ऊर्जा और बुजुर्गों की साधना – इस संगम ने योग को एक उत्सव बना दिया। गांव के लोगों ने साफ कहा “अब योग केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।”
यहां योग शिक्षक वरुणेश तिवारी (जल विभाग के इंजीनियर) ने जब योग के विविध आसन कराए, तो हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। उनके साथ प्रवक्ता राजकुमार त्रिपाठी ने जब योग के पीछे छिपे वैज्ञानिक तर्कों को सरल भाषा में समझाया, तो लोग मंत्रों से ज़्यादा इन तथ्यों पर वाह-वाह करते दिखे।
प्रोड्यूसर हिमांशु त्रिपाठी के संयोजन में “तिवारी भवन” से शुरू हुआ यह आयोजन पूरे गांव में एक ऊर्जा का संचार करता चला गया।
बच्चों के लचीले शरीर और बुजुर्गों की एकाग्रता को देखकर हर कोई यही कह उठा – “योग सिर्फ व्यायाम नहीं, जीवन का उत्सव है।”
कार्यक्रम के दौरान “ॐ” और “प्रणव मंत्र” की गूंज ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। गांवों में जैसे एक सकारात्मक क्रांति की शुरुआत हो गई हो – एक योग क्रांति।
प्रधान प्रतिनिधि धरणी धर राम त्रिपाठी ने कहा “योग शरीर के विकार, मानसिक तनाव और असंतुलन को दूर करता है। आज की पीढ़ी को यह देखकर सीख लेनी चाहिए – योग कोई फैशन नहीं, यह तो हमारी विरासत है, जिसे अपनाना जरूरी है।”
गांवों के लोग अब शहरों से पीछे नहीं। जहां पहले योग केवल टीवी पर देखा जाता था, अब वहां की गलियों में लोग साथ-साथ आसन करते हैं। योग दिवस ने ये साबित कर दिया – भारत का भविष्य उसके गांवों में ही बसता है… और अब गांव भी कह रहे हैं – चलो योग करें!