

गोरखपुर जिले की गोला तहसील अंतर्गत ग्राम सभा देवलापार के मेहदराव गांव में वर्षों से चली आ रही भूमि विवाद की गूंज आखिरकार न्यायपालिका तक पहुंची और एक निर्णायक कार्रवाई के रूप में समाप्त हुई। पोखरा भीटा (गाटा संख्या 89 ग) की ग्राम समाज की जमीन पर कुछ दबंगों द्वारा वर्षों से अवैध कब्जा कर रखा गया था।
पोखरा भीटा को कराया अतिक्रमण मुक्त
Gorakhpur: गोला तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा देवलापार के मेहदराव गांव में स्थित पोखरा भीटा (गाटा नंबर 89 ग) की जमीन पर गांव के कुछ दबंगों द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया था। यह विवाद लंबे समय से न्यायालय में चल रहा था। स्थानीय प्रशासन द्वारा कब्जाधारकों को कई बार कब्जा हटाने की सूचना दी गई, लेकिन उनकी अनदेखी के चलते मामला गंभीर हो गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, पूर्व ग्राम प्रधान दिवाकर दुबे ने इस मुद्दे को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया और न्याय की गुहार लगाई। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए पोखरा भीटा की जमीन को तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश जारी किया।
हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में गोला तहसील प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। मंगलवार, 26 अगस्त को नायब तहसीलदार जय प्रकाश के नेतृत्व में एक राजस्व टीम गठित की गई, जिसमें भारी पुलिस बल और गोला थाने की पुलिस शामिल थी। यह टीम मेहदराव गांव पहुंची और जेसीबी मशीनों की मदद से पोखरा भीटा की जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई शुरू की। कई घंटों की मेहनत के बाद जमीन को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया। इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की, ताकि किसी भी तरह की अशांति या विरोध को रोका जा सके।
यह कार्रवाई न केवल हाईकोर्ट के आदेश का पालन थी, बल्कि ग्राम समाज की जमीन को सुरक्षित करने और दबंगों के अवैध कब्जे को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी साबित हुई। स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया और प्रशासन की तत्परता की सराहना की। पूर्व प्रधान दिवाकर दुबे ने हाईकोर्ट और तहसील प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह न्याय की जीत है और इससे गांव में कानून का सम्मान बढ़ेगा।
गोला तहसील प्रशासन ने इस कार्रवाई को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न किया। इस घटना ने यह संदेश दिया है कि अवैध कब्जे के खिलाफ प्रशासन और न्यायालय का रुख सख्त रहेगा। भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयों को जारी रखने की बात तहसील प्रशासन ने कही है, ताकि सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।