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शासन की करोड़ों की योजना और स्वच्छ जल मिशन की हकीकत का पर्दाफाश गोरखपुर जिले के गोला ब्लॉक में देखने को मिल रहा है, जहां ग्राम पंचायत देवलापार के टोला मेहदराव में जल निगम की टंकी से बीते एक सप्ताह से जल आपूर्ति पूरी तरह ठप पड़ी है। ट्रांसफार्मर जल जाने की बात कहकर विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि ग्रामीण अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं।
स्वच्छ जल मिशन की पोल खुली
Gorakhpur,(Gola Bazar): शासन की करोड़ों की योजना और स्वच्छ जल मिशन की हकीकत का पर्दाफाश गोरखपुर जिले के गोला ब्लॉक में देखने को मिल रहा है, जहां ग्राम पंचायत देवलापार के टोला मेहदराव में जल निगम की टंकी से बीते एक सप्ताह से जल आपूर्ति पूरी तरह ठप पड़ी है। ट्रांसफार्मर जल जाने की बात कहकर विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि ग्रामीण अशुद्ध पानी पीने को मजबूर हैं।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट मुताबित ग्रामीणों ने बताया कि गोला विद्युत उपकेंद्र के जेई को ट्रांसफार्मर जलने की सूचना एक सप्ताह पहले ही दे दी गई थी। लेकिन अफसरों की लापरवाही का आलम यह है कि न नया ट्रांसफार्मर लगाया गया, न ही पानी की सप्लाई चालू हुई। लोग बारिश के मौसम में जलजनित बीमारियों से परेशान हैं, डायरिया और बुखार की चपेट में आने का डर अलग सताने लगा है।
शासन ने गांव-गांव स्वच्छ जल मिशन के तहत लाखों रुपये खर्च कर टंकियां बनवाईं, पाइपलाइन बिछवाई और घर-घर नल लगवाए ताकि लोग शुद्ध पेयजल पा सकें और बीमारी से बच सकें। लेकिन धरातल पर हकीकत यह है कि जगह-जगह पाइप फट चुके हैं, लीकेज से पानी बह रहा है और कई जगह महीनों से जलापूर्ति नहीं हो रही है। शिकायतों के बाद भी विभागीय कर्मचारियों और अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।
मेहदराव के ग्रामीणों ने बताया कि पहले पाइप से आने वाला पानी ही दूषित आ रहा था, अब पिछले सात दिनों से नल में एक बूंद पानी नहीं आ रहा। ग्रामीण इधर-उधर से गंदा पानी भरकर पीने को मजबूर हैं। महिलाएं और बच्चे पानी के लिए घंटों दूर-दराज के हैंडपंपों पर लाइन लगा रहे हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन-प्रशासन ने शीघ्र समस्या का समाधान नहीं किया, तो लोग शुद्ध पेयजल के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन को बाध्य होंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन और विभाग पर सीधी जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि पानी जैसी बुनियादी जरूरत को लेकर लोगों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर करना बड़ी लापरवाही है।
स्वच्छ जल मिशन को पलीता लगाते विभागीय अधिकारी शासन की मंशा को मटियामेट कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि करोड़ों खर्च होने के बाद भी ग्रामीण आखिर कब तक शुद्ध पानी के लिए तरसते रहेंगे?