गोरखपुर: अधूरे शौचालयों की बदबू में दब गया विकास का दावा, सीएम के वर्चुअल उद्घाटन की खुली पोल

सीएम के वर्चुअल उद्घाटन से गोरखपुर में अधूरे शौचालयों की बदबू में विकास का दावा दब गया हैं।

गोरखपुर: जनपद में मुख्यमंत्री के गृह जनपद में विकास की सच्चाई एक बार फिर सामने आ गई है। गोला उपनगर के वार्ड नंबर 10 में बने तीन सार्वजनिक शौचालय—जिनका उद्घाटन तीन साल पहले खुद मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से किया था, आज भी अधूरे पड़े हैं और आम जनता के किसी काम नहीं आ रहे।

ताले में बंद व्यवस्था, सड़कों पर खुले हालात

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता अनुसार पश्चिम चौराहे पर बना मॉडल शौचालय, जहां महिलाओं, पुरुषों और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी, पर हमेशा ताला जड़ा रहता है। नगर पंचायत अध्यक्षा लालती देवी खुद इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ताला क्यों बंद है। उनकी सफाई है—"पानी की समस्या है।" लेकिन स्थानीय लोग इसे लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं।

सब्जी मंडी का शौचालय बना दुर्गंध का अड्डा

सब्जी मंडी में बना दूसरा शौचालय बाहर से तो तैयार दिखता है, लेकिन इसका टैंक अब तक अधूरा है। जंग खाए ताले और चारों ओर फैली गंदगी इसे अनुपयोगी बना चुकी है। बाजार में आने-जाने वाले लोग खासे परेशान हैं, लेकिन जिम्मेदार आंख मूंदे बैठे हैं।

रानीपुर में शौचालय नहीं, निर्माणाधीन सपना

तीसरा शौचालय रानीपुर के सरकारी कृषि बीज भंडार के पास है, जो चार साल बाद भी निर्माणाधीन है। टैंक तक नहीं बना, दीवारें अधूरी हैं और चारों ओर वीरानी पसरी है।

जनता का गुस्सा, जिम्मेदारों की चुप्पी

स्थानीय लोग साफ कहते हैं "यह महज खानापूरी थी। उद्घाटन कर दिखावा कर लिया गया, लेकिन ज़मीन पर कुछ भी नहीं बदला।" सीएचसी, पशु चिकित्सालय, ब्लॉक कार्यालय और निजी संस्थानों से घिरे इलाके में शौचालयों की यह बदहाल स्थिति गुड गवर्नेंस की असल तस्वीर दिखा रही है।

मुख्यमंत्री के जिले की यह हालत, क्या यही रामराज्य है?

तीन साल में भी अधूरे शौचालय और वर्चुअल उद्घाटन की हवा-हवाई योजनाएं न केवल सिस्टम की असफलता हैं, बल्कि शासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं। आखिर मुख्यमंत्री के जिले में ही ऐसा हाल तो बाकी प्रदेश का क्या हाल होगा? अब जनता जवाब चाहती है। सिर्फ उद्घाटन नहीं, उपयोग भी ज़रूरी है।

Location : 

Published :