

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा और रासायनिक युक्त पानी नदी में प्रवाहित हो रहा है, जिससे आमी नदी का जल जहरीला हो गया है।
आमी नदी
Gorakhpur: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर की खजनी तहसील में बहने वाली आमी नदी का जल एक बार फिर प्रदूषित हो गया है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा और रासायनिक युक्त पानी नदी में प्रवाहित हो रहा है, जिससे नदी का जल जहरीला हो गया है।
डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट के अनुसार इससे न केवल मछुआरों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है, बल्कि नदी किनारे बसे गांवों के लोगों, मवेशियों और जलीय जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।नदी के प्रदूषण से गांवों में संकट आमी नदी, जिसे स्थानीय लोग "गांवों की गंगा" कहते हैं, कई वर्षों से गीडा के प्रदूषित जल के दंश को झेल रही है।
नदी का पानी इतना दूषित हो चुका है कि मछलियां मर रही हैं, जिससे मछुआरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। नदी के किनारे बसे गांवों में दुर्गंधयुक्त पानी के कारण जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। मच्छरों का प्रकोप भी दिन-रात लोगों को परेशान कर रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि नदी के किनारे रहना और चलना तक मुश्किल हो गया है।नमामि गंगे परियोजना के दावों पर सवाल केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ करने के लिए अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जून 2024 तक इस परियोजना के तहत 39,080.70 करोड़ रुपये की 467 परियोजनाएं शुरू की गई हैं,
जिनमें से 292 पूरी हो चुकी हैं। लेकिन गोरखपुर की आमी नदी की स्थिति इन दावों पर सवाल उठाती है। गीडा से निकलने वाला प्रदूषित जल बिना उपचार के नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी का जल अशुद्ध और जहरीला हो गया है। आमी बचाओ आंदोलन की मांगें अधूरी स्थानीय लोगों ने "आमी बचाओ आंदोलन" के तहत लंबी लड़ाई लड़कर गीडा में कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहित कराई थी। शासन-प्रशासन ने प्रदूषित जल को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का वादा किया था,
लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। जिम्मेदार अधिकारियों की सुस्ती और ढुलमुल रवैये के कारण आमी नदी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।किसानों और ग्रामीणों में आक्रोश नदी के प्रदूषित जल का असर किसानों पर भी पड़ रहा है। खेतों में सिंचाई के लिए इस पानी का उपयोग करने से फसलों को नुकसान हो रहा है, और मवेशियों में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही, तो नदी किनारे बसे गांवों में जीवन यापन असंभव हो जाएगा।जिम्मेदार कौन? स्थानीय लोगों ने प्रशासन और गीडा प्राधिकरण पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि नमामि गंगे परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक बजट (4205 करोड़ रुपये) मिला है, फिर भी आमी नदी की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिसमें गीडा के प्रदूषित जल को ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से शुद्ध करने और नदी को बचाने के लिए ठोस कदम शामिल हैं।मांग उठ रही जोर-शोर से आमी नदी को बचाने के लिए ग्रामीण और मछुआरे एकजुट हो रहे हैं। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि गीडा में तत्काल ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाए और नदी में प्रदूषित जल के प्रवाह को रोका जाए। साथ ही, नमामि गंगे परियोजना के तहत आमी नदी की सफाई के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।