Kashi Vishwanath Dham: बाबा विश्वनाथ के दर पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, हर हर महादेव से शिवमय हुई काशी

सावन के अंतिम सोमवार पर काशी विश्वनाथ धाम शिवभक्ति में डूबा हुआ है, रूद्राक्ष से सजे दरबार और बोल बम के जयघोष ने शहर को शिवमय कर दिया। भक्तों की आस्था और उमंग ने काशी को भक्ति के महापर्व में बदल दिया है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 4 August 2025, 11:43 AM IST
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Varanasi: सावन का महीना शिव भक्तों के लिए विशेष होता है, लेकिन जब बात काशी की हो, तो हर सोमवार एक उत्सव बन जाता है। आज सावन के अंतिम सोमवार पर बाबा विश्वनाथ की नगरी का जो नजारा देखने को मिल रहा है, वह अलौकिक, अद्भुत और रोमांचकारी है। रुद्राक्षों की माला से सजा दरबार, घंटों की गूंज और 'बोल बम' के नारों से गुंजायमान गलियाँ- काशी आज पूरी तरह से शिवमय हो गई है।

भोर की मंगला आरती के साथ ही काशी विश्वनाथ धाम के कपाट खुलते ही दर्शन की लंबी कतारें लग गईं। हर ओर से आए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। कोई नंगे पांव सैकड़ों किलोमीटर चलकर आया था, तो कोई कांवड़ में गंगाजल लेकर बाबा को अर्पित करने पहुंचा था। हर भक्त के चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि भक्ति का तेज नजर आ रहा था।

श्रद्धा का उत्सव बनी काशी

आज काशी केवल तीर्थ नहीं रही, बल्कि शिव की जीवंत अनुभूति का केंद्र बन गई। बाबा विश्वनाथ का दरबार आज विशेष रुद्राभिषेक और भव्य श्रृंगार से सजा है। रुद्राक्ष, फूलों, बिल्वपत्र और चंदन से बाबा का भव्य रूप सजा। मंदिर प्रांगण में भक्ति और आस्था की लहर दौड़ रही है। श्रद्धालुओं की कतारें दशाश्वमेध घाट से लेकर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक लगी है। मंदिर की व्यवस्था में लगे स्वयंसेवकों और पुलिसकर्मियों ने भी इस अद्भुत माहौल में सेवा भाव से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।

‘बोल बम’ की गूंज में शिवत्व की अनुभूति

शहर की गलियाँ आज 'हर हर महादेव' और 'बोल बम' के नारों से गूंज रही है। बच्चे, युवा, बुज़ुर्ग- हर उम्र के भक्तों की टोली शिवभक्ति में लीन है। कई जगहों पर लोक कलाकारों ने शिव वंदना प्रस्तुत की, तो कहीं ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियां निकाली गईं। घाटों पर हर-हर गंगे के स्वर और मंदिरों में ऊँ नमः शिवाय की गूंज ने माहौल को अध्यात्म से भर दिया।

Kashi Vishwanath Dham Sawan Somwar

बाबा के दर्शन के लिए कतार में खड़े भक्त

उत्साह और उमंग से सराबोर भक्त

काशी की गलियाँ आज अल्हड़ भक्तों की मस्ती से जीवंत हो उठीं। कई कांवड़िए अपने अनोखे अंदाज में बाबा को प्रसन्न करने पहुंचे- कोई भजन गाकर, तो कोई नृत्य करते हुए। भक्तों की यह उन्मुक्त भक्ति काशी की आत्मा को प्रकट करती है। यहां भक्ति बंधनों में नहीं बंधती, यह तो प्रेम और समर्पण का सजीव रूप है।

काशी की विशेषता: जहाँ हर दिन है महादेव का उत्सव

काशी की बात ही निराली है। यह शहर नहीं, शिव की चेतना का सजीव रूप है। सावन के अंतिम सोमवार को यहां की हर गली, हर घाट और हर मंदिर शिव की महिमा से गूंज रहा है। दुकानों में फूल, चंदन, रुद्राक्ष और प्रसाद की खरीददारी करते भक्तों का जोश देखते ही बन रहा है। घाटों पर आस्था की डुबकी और मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक सबकुछ इस नगरी को एक भव्य तीर्थ में परिवर्तित कर रहा है।

अंत में...

सावन का यह अंतिम सोमवार भले ही सावन के समापन की ओर इशारा कर रहा हो, लेकिन काशी में शिव की भक्ति का उत्सव कभी समाप्त नहीं होता। यहां तो हर दिन महादेव का पर्व है। और आज, इस अंतिम सोमवार को बाबा की नगरी ने फिर यह सिद्ध कर दिया कि काशी केवल एक शहर नहीं, बल्कि भक्ति, ऊर्जा और शिवत्व का वह धाम है, जहाँ हर श्वास में महादेव बसते हैं।

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