SIR का पहला चरण पूरा: वोटर लिस्ट से हटे करोड़ों नाम, भाजपा की इस मांग को चुनाव आयोग ने किया इंकार

उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण पूरा हो गया है। SIR के बाद मतदाताओं की संख्या में बड़ी कटौती की आशंका है। चुनाव आयोग आज देर शाम तक फाइनल आंकड़े जारी कर सकता है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 26 December 2025, 7:09 PM IST

Lucknow: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का काम पूरा हो गया है। शुक्रवार देर शाम तक मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय की ओर से SIR के पहले चरण के आंकड़े सार्वजनिक किए जा सकते हैं। प्रदेशभर में जिलाधिकारी कार्यालयों से लेकर सीईओ दफ्तर तक देर रात तक गणना पत्रों के डिजिटलाइजेशन और डाटा मिलान का कार्य अंतिम चरण में चलता रहा। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि SIR के बाद प्रदेश में मतदाताओं की कुल संख्या कितनी रह जाएगी।

SIR को लेकर बढ़ाई गई थी समय-सीमा

उत्तर प्रदेश में SIR के दौरान समय-सीमा को लेकर काफी चर्चा रही। निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार और राजनीतिक दलों की मांग पर पहले एक बार समय बढ़ाया था। प्रदेश में SIR के पहले चरण में गणना पत्र जमा करने की अंतिम तिथि पहले 4 दिसंबर तय थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 26 दिसंबर कर दिया गया। भाजपा सहित कुछ राजनीतिक दलों की ओर से और समय दिए जाने की मांग की गई थी, लेकिन दिल्ली स्थित चुनाव आयोग ने तीसरी बार अंतिम तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही SIR के पहले चरण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से पूरी हो गई।

SIR से पहले यूपी में 15.44 करोड़ मतदाता

SIR शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ मतदाता दर्ज थे। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे बड़ी मतदाता संख्या है। हालांकि, पुनरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में नाम हटने की संभावना जताई जा रही है। आशंका है कि अंतिम आंकड़ों में मतदाताओं की संख्या दो से ढाई करोड़ तक कम हो सकती है। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने 10 दिसंबर तक के अंतरिम आंकड़े जारी किए थे, जिनमें 2.91 करोड़ नाम कम होने की जानकारी दी गई थी।

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2.91 करोड़ नाम हटने की वजहें क्या रहीं?

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने 10 दिसंबर तक के SIR आंकड़ों को साझा करते हुए बताया था कि किन कारणों से मतदाता सूची से नाम हटाए गए। उन्होंने पांच प्रमुख बिंदुओं में इसका विवरण दिया था।
• 1.27 करोड़ मतदाता स्थायी रूप से अन्य स्थानों पर शिफ्ट हो चुके पाए गए।
• 45.95 लाख मतदाता मृतक पाए गए।
• 23.59 लाख मतदाता डुप्लीकेट थे, जिनके नाम एक से अधिक जगह दर्ज मिले।
• 84.73 लाख मतदाता लापता श्रेणी में पाए गए, जिनका कोई सत्यापन नहीं हो सका।
• 9.57 लाख मतदाता ऐसे थे जिन्होंने गणना पत्र तो लिया, लेकिन वापस जमा नहीं किया।

फाइनल SIR के बाद कितनी घटेगी मतदाता संख्या?

अब जब SIR का पहला चरण पूरी तरह समाप्त हो चुका है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि अंतिम आंकड़ों में मतदाताओं की संख्या कितनी घटेगी। चुनाव आयोग की ओर से जारी होने वाले फाइनल डेटा से यह भी स्पष्ट होगा कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं की संख्या में कितना बदलाव आया है। माना जा रहा है कि शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरण और डुप्लीकेट नामों के कारण ज्यादा कटौती हो सकती है, जबकि ग्रामीण इलाकों में भी लापता और मृत मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।

राजनीतिक दलों की बढ़ी निगरानी

SIR के आंकड़ों को लेकर सभी राजनीतिक दल बेहद सतर्क हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटने से चुनावी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं। वहीं सत्तारूढ़ दल का तर्क है कि SIR से मतदाता सूची अधिक शुद्ध और पारदर्शी बनेगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों को देखते हुए SIR के आंकड़े बेहद अहम माने जा रहे हैं।

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अब आगे की प्रक्रिया क्या होगी?

• 31 दिसंबर 2025: निर्वाचन नामावलियों का आलेख्य (ड्राफ्ट) प्रकाशन
• 31 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026: दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि
• 31 दिसंबर 2025 से 21 फरवरी 2026: नोटिस चरण, गणना प्रपत्रों पर निर्णय और दावों-आपत्तियों का निस्तारण
• 28 फरवरी 2026: उत्तर प्रदेश की अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन

लोकतंत्र की मजबूती के लिए अहम कदम

निर्वाचन आयोग का कहना है कि SIR का उद्देश्य किसी को वोट के अधिकार से वंचित करना नहीं, बल्कि मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाना है। फर्जी, डुप्लीकेट और निष्क्रिय मतदाताओं के नाम हटाकर चुनाव प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बनाया जा रहा है। आयोग का दावा है कि इससे निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित होंगे।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 26 December 2025, 7:09 PM IST