चिड़ियाघर में नहीं थम रहा मौत का सिलसिला, अब एमू पक्षी की गई जान

एमू पक्षी की मौत के बाद कानपुर जू एक बार फिर सुर्खियों में है। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 23 June 2025, 8:22 PM IST
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कानपुर: प्राणी उद्यान में बीते दिनों से चल रही मौतों की श्रृंखला थमने का नाम नहीं ले रही है। बर्ड फ्लू के खतरे के बीच अब एमू पक्षी की मौत ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, इससे पहले भी कई पक्षियों की मौत हो चुकी है। जिसके कारण पहले ही कानपुर जू को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।

एमू पक्षी की रहस्यमयी मौत

जानकारी के अनुसार, कानपुर जू में एक एमू पक्षी की अचानक मौत हो गई। जू प्रशासन और वन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। एमू की मौत के कारणों को स्पष्ट करने के लिए उसके सैंपल्स बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) भेजे गए हैं।

सैंपल्स भेजे गए IVRI बरेली

एमू पक्षी के शरीर के नमूनों को बर्ड फ्लू समेत अन्य संक्रामक रोगों की जांच के लिए IVRI बरेली भेजा गया है। जू प्रशासन का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। बर्ड फ्लू की पुष्टि होने की स्थिति में और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।

बर्ड फ्लू के चलते पहले से ही बंद है कानपुर जू

बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद पिछले सप्ताह कानपुर जू को एहतियातन बंद कर दिया गया था। करीब एक दर्जन पक्षियों की असामान्य मौतों के बाद जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी, जिसके चलते जू प्रशासन ने पूरे परिसर को सेनिटाइज करवाया और पक्षियों के बाड़ों में निगरानी बढ़ा दी गई थी।

निगेटिव रिपोर्ट के बाद खुलने की थी संभावना

जू प्रशासन और स्थानीय नागरिकों को उम्मीद थी कि यदि जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है तो चिड़ियाघर को आम जनता के लिए फिर से खोला जा सकेगा। लेकिन अब एमू की मौत ने इस प्रक्रिया पर फिर से विराम लगा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी तरह की लापरवाही न हो, इसलिए रिपोर्ट आने तक जू को बंद रखना ही सुरक्षित विकल्प है।

पशु चिकित्सकों की टीम लगातार निगरानी में जुटी

जू में तैनात पशु चिकित्सकों की टीम लगातार अन्य पक्षियों की सेहत पर नजर बनाए हुए है। रोजाना पक्षियों की जांच की जा रही है और किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम भी स्थिति पर निगरानी रख रही है।

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