

नोएडा के सेक्टर-110 स्थित सरकारी अस्पताल के बाहर तीन महीने के भ्रूण को आवारा कुत्तों ने नोच डाला। यह दर्दनाक घटना अस्पताल की लापरवाही का नतीजा बताई जा रही है। वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया है और प्रशासन पर जवाबदेही तय करने की मांग उठ रही है।
नोएडा के सरकारी अस्पताल के बाहर कुत्तों ने नोचा भ्रूण
Noida: नोएडा से एक दिल दहला देने वाली और अमानवीय घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। थाना फेस-2 क्षेत्र के सेक्टर-110 स्थित सरकारी अस्पताल के बाहर शुक्रवार को आवारा कुत्तों ने तीन महीने के भ्रूण को नोच डाला। यह घटना न केवल दर्दनाक है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करती है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह एक कुत्ता भ्रूण को मुंह में दबाए सड़क पर घसीटता नजर आ रहा है। इस दृश्य को देखकर हर किसी की रूह कांप उठी।
कैसे हुई घटना?
पुलिस के अनुसार, शुक्रवार को एक गर्भवती महिला को सीढ़ियों से गिरने के बाद गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। महिला के परिजनों ने बताया कि वह तीन महीने की गर्भवती थी और गिरने के बाद अस्पताल में उसका गर्भपात हो गया। डॉक्टरों ने जब महिला का इलाज किया तो भ्रूण को सर्जरी के बाद बाहर निकालकर उसके पति को सौंप दिया। अस्पताल प्रशासन ने भ्रूण को सुरक्षित तरीके से डिस्पोज करने की बजाय सिर्फ एक थैली में डालकर परिजनों को दे दिया। महिला का पति दवा लेने अस्पताल के अंदर चला गया और भ्रूण से भरी थैली को बाहर छोड़ गया। इसी बीच आवारा कुत्तों ने उस थैली को खींच लिया और पास ही के खुले स्थान पर भ्रूण को नोचना शुरू कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने तुरंत कुत्तों को भगाया और घटना की जानकारी अस्पताल प्रशासन को दी।
स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा
इस अमानवीय घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। लोगों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को शिकायत पत्र सौंपा है। उनका कहना है कि भ्रूण जैसे संवेदनशील और पवित्र चीज को सड़क किनारे छोड़ देना न केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि एक अपराध के समान है। लोगों की मांग है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू किए जाएं।
पुलिस जांच
पुलिस ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। अस्पताल प्रशासन से भी जानकारी मांगी गई है। बाद में भ्रूण को परिजनों को सौंप दिया गया, जिन्होंने उसका अंतिम संस्कार किया। इस घटना ने नोएडा की स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारी अस्पतालों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या अस्पतालों में भ्रूण के निपटारे के लिए कोई मानक प्रक्रिया नहीं है? क्या प्रशासन अब भी चेतेगा?