

गोरखपुर में एक नवविवाहिता की गला घोंटकर हत्या कर दी गई—वजह सिर्फ दहेज! पुलिस ने चौंकाने वाली तेजी से पति और सास को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन आखिर क्या सुराग मिला जिसने आरोपियों की नींद उड़ा दी? और कौन से कानूनों के तहत हो रही है कार्रवाई? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
गोरखपुर में बहू की गला घोंटकर हत्या
Gorakhpur : दहेज रूपी सामाजिक दानव एक बार फिर खूनी रूप में सामने आया है। बड़हलगंज थाना क्षेत्र के नवलपुर गांव में एक नवविवाहिता की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। आरोपियों ने इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया केवल दहेज की लालच में। लेकिन गोरखपुर पुलिस ने इस मामले में अपनी सक्रियता और तत्परता से इंसाफ की एक उम्मीद जगाई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, घटना 3 जून 2025 की है जब सुभाष गौड़ और उसकी मां पार्वती ने बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित किया और अंततः उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। मृतका के पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने IPC की धारा 85, 80(2) और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत केस (संख्या 364/2025 और 403/2025) पंजीकृत किया।
एसएसपी राज करन नय्यर के सख्त निर्देश पर, पुलिस अधीक्षक दक्षिणी, क्षेत्राधिकारी गोला और थानाध्यक्ष बड़हलगंज के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। उपनिरीक्षक विनय पांडेय और कांस्टेबल अमलेश यादव की टीम ने कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार किए गए आरोपी में सुभाष गौड़, पुत्र केदारनाथ, पार्वती, पत्नी सुभाष गौड़ शामिल है। जोकि नवलपुर, बड़हलगंज, गोरखपुर के रहने वाले हैं। इस घटना ने समाज को एक बार फिर आईना दिखा दिया है, जहां विवाह के नाम पर बेटियों को आज भी सामान की तरह देखा जाता है। मृतका के परिजनों में जहां पुलिस की त्वरित कार्रवाई से राहत की भावना है, वहीं समाज में भी दहेज के खिलाफ एक बार फिर बहस शुरू हो गई है।
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गोरखपुर पुलिस की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ इस कार्रवाई में साफ नजर आई, जो महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्ती से लगाम लगाने का संकेत है। पुलिस अब दोनों आरोपियों के खिलाफ विधिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई कर रही है और केस को न्यायिक दृष्टिकोण से मजबूती देने की तैयारी में जुटी है।
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यह मामला दहेज प्रथा के खिलाफ केवल एक केस नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि यदि समय रहते समाज नहीं बदला, तो ऐसी त्रासदियां दोहराई जाती रहेंगी। पुलिस की सतर्कता और तत्परता ने इस बार न्याय का दरवाजा जरूर खोला है।
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