

प्रयागराज के दरियाबाद मोहल्ले में शुक्रवार रात मोहर्रम की आठवीं तारीख पर काफी भीड़ देखने को मिली थी। पूरा इलाका ‘या अली’ और ‘या हुसैन’ की सदाओं से गूंजता नजर आ रहा था। जब हजारों अकीदतमंदों ने विभिन्न ताजियों, झूलों और मेहंदी जुलूसों की जियारत किया था।
मोहर्रम का जुलूस
Prayagraj: प्रयागराज के दरियाबाद मोहल्ले में शुक्रवार रात मोहर्रम की आठवीं तारीख पर काफी भीड़ देखने को मिली थी। पूरा इलाका ‘या अली’ और ‘या हुसैन’ की सदाओं से गूंजता नजर आ रहा था। जब हजारों अकीदतमंदों ने विभिन्न ताजियों, झूलों और मेहंदी जुलूसों की जियारत किया था। इस दौरान काफी भीड़ देखने को मिली। इस दौरान ही एकता का शानदार नजारा पेश हुआ।
झल्लू खां इमामबाड़े से ‘बड़ा ताजिया’ और जोगी घाट से ‘बूढ़ा ताजिया’ निकाला गया। इस दौरान आयोजन का खास आकर्षण दिखा था। इस दौरान राशिद सलमानी और मोहम्मद चांद मौजूद रहे। अली नगर से अली असगर का झूला निकाला गया। वहीं पीपल घाट पर भी शेरे जुलूस ने अकीदतमंदों का दिल जीत लिया था। जुलूस के दौरान हुसैन की शहादत के नारे भी गूंज रहे थे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस बार की आठवीं मोहर्रम में सबसे अधिक चर्चा ‘बाहर गांव’ से आने वाली मेहंदी की हुई थी। इसकी सजावट, अनुशासन और उसमें शामिल लोगों की श्रद्धा ने सभी का दिल जीत लिया था। लोगों ने कंधों पर इसे उठाकर इमाम हुसैन को श्रद्धांजली दिया था। यह मेहंदी न केवल एक धार्मिक प्रतीक के तौर पर जानी जाती है, बल्कि लोगों की एकता और भक्ति का प्रतीक भी समझा जाता है।
जुलूसों के गुजरने वाले रास्तों पर लंगर, ठंडे पानी और रोशनी की व्यवस्था की गई थी। नगर निगम ने साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा, वहीं पुलिस और प्रशासन की सक्रिय निगरानी ने कार्यक्रम पूरा करवााने में पूरा सहयोग दिया था। एसीपी अतरसुइया राजकुमार मीणा खुद मौके पर मौजूद रहकर स्थिति पर लगातार हालात पर नजर बनाए हुए थे।
दरियाबाद की आठवीं मोहर्रम इस बार सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बनाई जाती है, बल्कि यह अकीदत, अनुशासन, एकता और भाईचारे की एक मिसाल के तौर पर जानी जाती है। ‘बाहर गांव की मेहंदी’ ने इसको खास पहचान दी है और प्रयागराजवासियों के दिलों में शानदार छाप छोड़ दी है।