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कोडिन युक्त कफ सिरप के अवैध कारोबार को लेकर बड़ी कार्रवाई जारी है। एफएसडीए की जांच में अब तक 128 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जबकि कई अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। जांच में पाया गया कि यह अवैध कारोबार न केवल प्रदेश के कई जिलों बल्कि नेपाल और बांग्लादेश तक फैला है।
कफ सिरप (Img: Google)
Lucknow: उत्तर प्रदेश में कोडिन युक्त कफ सिरप के अवैध कारोबारी नेटवर्क पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FSDA) की ओर से लखनऊ में 10 अक्टूबर को शुरू की गई जांच अब बड़े गिरोहों तक पहुंच चुकी है। इस जांच में न केवल अवैध कारोबारियों की सक्रियता उजागर हुई है, बल्कि विभाग के पांच सहायक आयुक्तों और कई औषधि निरीक्षकों की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है। इससे पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
कोडिन सिरप, जिसे मेडिकल उपयोग के बजाय नशे के रूप में बेचा जा रहा था, का अवैध कारोबार पिछले कई महीनों से प्रदेश में फल-फूल रहा था। जांच में सामने आया कि यह सिरप उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होते हुए नेपाल और बांग्लादेश तक तस्करी किया जा रहा था। वाराणसी, कानपुर और आगरा जैसे जिलों में भारी मात्रा में सिरप की बरामदगी ने इस नेटवर्क की गहराई को साफ कर दिया है।
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औषधि विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई बेहद सख्त रही। अब तक 128 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं जिनमें से कई मुकदमे एनडीपीएस एक्ट के तहत पंजीकृत किए गए हैं। जिलेवार बात करें तो वाराणसी में सबसे अधिक 38 मामले दर्ज हुए, जबकि अलीगढ़ में 16, कानपुर में 08, गाजियाबाद में 06, महाराजगंज और लखनऊ में 04-04 तथा अन्य जिलों में 52 मुकदमे दर्ज हुए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अवैध कफ सिरप का जाल पूरे प्रदेश में फैला हुआ था।
एफएसडीए की सचिव रोशन जैकब ने बताया कि इस अभियान को व्यापक स्तर पर चलाया गया, जिसके तहत 279 मेडिकल प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि कई जगहों पर कोडिन युक्त सिरप को दवा के बजाय नशा करने वालों को अधिक कीमत पर बेचा जा रहा था। कई दुकानों पर फर्जी स्टॉक, अवैध भंडारण और बिना दस्तावेज के बड़े स्तर पर सिरप की बिक्री के साक्ष्य मिले हैं।
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जांच में यह भी पाया गया कि वाराणसी और गाजियाबाद जैसे जिले इस अवैध गतिविधि के सबसे बड़े केंद्र बने हुए थे। कोडिन सिरप की मांग इन जिलों में सबसे अधिक थी, जिसके कारण यहाँ सक्रिय गिरोहों ने वाराणसी क्षेत्र को सप्लाई हब की तरह इस्तेमाल किया। अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई अभी खत्म नहीं हुई है। जिन अधिकारियों या कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है, उनके खिलाफ विभागीय जांच तेज की जा रही है। इस काले कारोबार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।