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बहराइच के फखरपुर क्षेत्र में भेड़िए के हमले में 3 साल के मासूम की मौत हो गई। जिले में पिछले चार महीनों से भेड़िए का आतंक बना हुआ है, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल है। प्रशासन और वन विभाग पर सुरक्षा बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।
बच्चे के मर जाने के बाद रोती हुई मां
Bahraich: बहराइच जिले में भेड़िए के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। फखरपुर थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में एक भेड़िए ने 3 साल के मासूम बच्चे को उसकी मां के सामने से उठा लिया। इस घटना में बच्चे की मौत हो गई। घटना के बाद से पूरे गांव में दहशत का माहौल है।
मां की आंखों के सामने हुआ हमला
रसूलपुर दरेहटा गांव निवासी राम मनोहर पंजाब में नौकरी करते हैं, जबकि उनकी पत्नी ननकई अपने बच्चों के साथ गांव में रहती हैं। सोमवार तड़के उनका सबसे छोटा बेटा अंशु (3) घर के आंगन में खाट पर लेटा हुआ था और मां पास ही बैठी थी। इसी दौरान अचानक एक भेड़िया वहां पहुंच गया और बच्चे को उठाकर भाग गया।
शोर सुनकर जुटे ग्रामीण
मां के शोर मचाने पर परिजन और ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर बच्चे को बचाने के लिए दौड़े, लेकिन घने कोहरे का फायदा उठाकर भेड़िया खेतों की ओर भाग गया। काफी देर तक तलाश के बावजूद न तो बच्चे का पता चल सका और न ही जानवर के निशान मिले।
छह घंटे बाद मिला शव
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और तलाश अभियान शुरू किया गया। करीब छह घंटे की खोजबीन के बाद गांव से कुछ दूरी पर बच्चे का शव मिला। इसके बाद गांव में मातम पसर गया और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
पिछले चार महीनों से जारी है आतंक
बहराइच जिले में पिछले चार महीनों से भेड़िए का आतंक बना हुआ है। अब तक भेड़िए के हमलों में 11 बच्चों समेत 13 लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में गुल्लईन पुरवा में भी एक 2 साल की बच्ची को भेड़िया उठा ले गया था, हालांकि समय पर पीछा करने से बच्ची की जान बच गई थी।
वन विभाग की कार्रवाई, फिर भी खतरा बरकरार
वन विभाग द्वारा अब तक 6 भेड़ियों को मार गिराया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद घटनाएं रुक नहीं रही हैं। रेंजर ओंकार यादव ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार जंगली जानवर बच्चे को उठाकर गन्ने के खेतों की ओर गया था, जिसके बाद वह ओझल हो गया।
पहले भी हो चुकी हैं दर्दनाक घटनाएं
29 नवंबर को जिले में दो अलग-अलग घटनाओं में भेड़िए के हमले से दो मासूम बच्चों की जान चली गई थी। इन घटनाओं के बाद प्रशासन और वन विभाग ने गश्त बढ़ाने और पिंजरे लगाने की बात कही थी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था अभी भी नाकाफी है।