गोरखपुर में बोलेरो की टक्कर और उरुवा पुलिस की सुस्ती, घायल गोविंद को कब मिलेगा न्याय?

एक हादसा ने न सिर्फ एक परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर : गोरखपुर के उरुवा थाना क्षेत्र में बीते 16 नवंबर 2024 को एक हादसा हुआ, जिसने न सिर्फ एक परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए। पचौहा पेट्रोल पंप के पास तेज रफ्तार बोलोरो ने 32 वर्षीय गोविंद उपाध्याय की बाइक को ऐसी ठोकर मारी कि वह सड़क पर गिरकर बेहोश हो गया। गंभीर चोटों के साथ उसे पहले उरुवा के सरकारी अस्पताल, फिर जिला अस्पताल और अंत में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आज भी उसका इलाज चल रहा है। लेकिन छह महीने बाद भी न तो बोलोरो चालक का पता चला और न ही गोविंद को न्याय की उम्मीद दिख रही है।

हादसे की दर्दनाक कहानी

सिकरीगंज थाना क्षेत्र के डीगुरपुरा गांव के रहने वाले केशव उपाध्याय का बेटा गोविंद उस दिन अपनी बाइक से गोला थाना क्षेत्र के गौरखास में अपनी बहन के घर जा रहा था। पेट्रोल डलवाने के लिए वह पचौहा पेट्रोल पंप पर रुका। जैसे ही वह आगे बढ़ा, पीछे से आई तेज रफ्तार बोलोरो ने उसकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। गोविंद बाइक समेत सड़क पर गिर पड़ा, और सिर में गहरी चोट लगने से वह तुरंत बेहोश हो गया। आसपास के लोगों ने उसे तुरंत उरुवा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से हालत नाजुक देख उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहां से भी हालत गंभीर होने पर परिजनों ने उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।

पुलिस की लापरवाही:

छह महीने बाद भी बोलोरो का सुराग नहीं मिल सका है हादसे के बाद गोविंद के पिता केशव ने उरुवा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अपराध संख्या 231/24 के तहत सुसंगत धाराओं में मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी न तो बोलोरो चालक का पता चला और न ही गाड़ी का। सूत्रों की मानें तो उरुवा पुलिस अब इस केस को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी कर रही है और फाइनल रिपोर्ट लगाने की योजना बना रही है। यह खबर सुनकर क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिस इतनी गंभीर घटना में लापरवाही बरतेगी, तो आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा?

गोविंद के परिवार का कहना है कि वह अभी भी अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। सिर की गंभीर चोट के कारण उसकी हालत में पूरी तरह सुधार नहीं हुआ है। परिवार आर्थिक और मानसिक तनाव से जूझ रहा है, लेकिन पुलिस की सुस्ती ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर गुस्सा है। उनका कहना है कि उरुवा पुलिस की लापरवाही कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार एक युवक की जिंदगी दांव पर है।

क्या है यक्ष प्रश्न?

यह घटना कई सवाल खड़े करती है। आखिर पुलिस छह महीने में एक गाड़ी का नंबर तक क्यों नहीं ढूंढ पाई? क्या पचौहा पेट्रोल पंप जैसे व्यस्त इलाके में कोई सीसीटीवी फुटेज या गवाह नहीं मिला? और अगर पुलिस फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद करने की तैयारी में है, तो क्या गोविंद और उसके परिवार को कभी न्याय मिलेगा? यह सवाल न सिर्फ उरुवा पुलिस के लिए, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चुनौती है।

न्याय की उम्मीद

गोविंद का परिवार और स्थानीय लोग अब उच्च अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस मामले की गहन जांच हो, बोलोरो चालक को पकड़ा जाए और गोविंद को न्याय मिले। यह कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और एक परिवार की बेबसी की है। क्या उरुवा पुलिस इस यक्ष प्रश्न का जवाब दे पाएगी, या गोविंद का इंसाफ कागजों में दफन होकर रह जाएगा? यह समय ही बताएगा।

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