

सिद्धार्थनगर में भाजपा जिला उपाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रहरि का एक नाबालिग के साथ अश्लील वीडियो वायरल होने पर पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया है। वीडियो के वायरल होते ही प्रशासन और पार्टी में हड़कंप मच गया।
भाजपा जिला उपाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रहरि पार्टी से निष्कासित
Siddharthanagar: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता को लेकर सनसनीखेज मामला सामने आया है। भाजपा ने जिले के जिला उपाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रहरि को एक अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है। वीडियो में अग्रवाल एक नाबालिग किशोरी के साथ आपत्तिजनक अवस्था में नजर आ रहे हैं।
यह वीडियो रविवार शाम सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और तेजी से फैल गया। वीडियो सामने आते ही क्षेत्र में हड़कंप मच गया और राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई। बताया जा रहा है कि यह वीडियो करीब एक सप्ताह पुराना है और बांसी तहसील क्षेत्र के एक कमरे में रिकॉर्ड किया गया था।
वीडियो की संवेदनशीलता और किशोरी के नाबालिग होने की सूचना के चलते मामला और गंभीर हो गया है। यह घटना भाजपा की छवि पर सीधा हमला मानी जा रही है और विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है।
भाजपा ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए तुरंत कार्रवाई की है। जिलाध्यक्ष की रिपोर्ट और क्षेत्रीय अध्यक्ष के साथ चर्चा के बाद प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ल ने गौरीशंकर अग्रहरि को पार्टी से निष्कासित करने का आदेश जारी किया। भाजपा द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि, पार्टी की मर्यादा और आदर्शों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस प्रकार का आचरण अस्वीकार्य है।
वहीं दूसरी ओर, पुलिस भी इस मामले में पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। सीओ बांसी मयंक द्विवेदी ने बताया कि वायरल वीडियो की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। किशोरी की उम्र की पुष्टि के लिए दस्तावेजी जांच के साथ-साथ पीड़िता के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। यदि किशोरी नाबालिग साबित होती है तो अग्रवाल के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
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घटना के बाद से भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। न तो किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से इस घटना की निंदा की और न ही कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट की गई। इससे जनता में असंतोष का माहौल बन रहा है और पार्टी की जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे मामलों से केवल पार्टी की साख को ही नहीं, बल्कि समाज में राजनीतिक नेतृत्व की नैतिकता पर भी सवाल उठते हैं। भाजपा नेतृत्व ने भले ही त्वरित कार्रवाई की हो, लेकिन यह मामला दर्शाता है कि राजनीतिक दलों को अपने पदाधिकारियों की पृष्ठभूमि और आचरण की जांच पहले से करनी चाहिए।
फिलहाल, पूरे जिले में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। जनता, मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें अब पुलिस की जांच रिपोर्ट और कानूनी कार्यवाही पर टिकी हैं।