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भीलवाड़ा की पोक्सो कोर्ट संख्या-2 ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी कमलेश ढोली को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 55 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। 18 गवाहों और 21 दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए कठोर फैसला सुनाया।
आरोपी का फोटो
Bhilwara: नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में पोक्सो कोर्ट संख्या-2 ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी कमलेश पिता सत्यनारायण ढोली (आयु 24 वर्ष) को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 55 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशिष्ट न्यायाधीश अर्चना मिश्रा की अदालत ने इसे समाज और कानून के खिलाफ गंभीर अपराध मानते हुए कठोर दंड का प्रावधान लागू किया।
आरोपी ने कैसे दिया वारदात को अंजाम
विशिष्ट लोक अभियोजक अनिल कुमार शुक्ला के अनुसार, यह मामला 29 अप्रैल 2022 की सुबह घटित हुआ था। पीड़िता ने थाना बड़लियास में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि लगभग सुबह 5 से 6 बजे के बीच वह अपनी बड़ी बहन के साथ घर के कमरे में सो रही थी। इसी दौरान उसकी बहन चाय बनाने के लिए बाहर चली गई। घर का दरवाजा खुला देखकर आरोपी कमलेश अंदर घुस आया और मौके का फायदा उठाते हुए उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
आरोपी को जेल भेजा
शिकायत के अनुसार आरोपी ने नाबालिग पीड़िता के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया। भयभीत पीड़िता ने शोर मचाया तो उसकी बहन और भाई कमरे की ओर दौड़े। उन्होंने दरवाजा खुलवाकर आरोपी को मौके पर ही पकड़ लिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और पीड़िता को चिकित्सकीय जांच के लिए भेजा।
18 गवाहों के बयान दर्ज करवाए
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया। विस्तृत जांच-पड़ताल के बाद आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने घटना को साबित करने के लिए 18 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। इसमें पीड़िता, उसकी बहन, भाई, चिकित्सकीय अधिकारी, जांच अधिकारी समेत कई महत्वपूर्ण गवाह शामिल थे। इसके अतिरिक्त अभियोजन ने 21 दस्तावेजों को भी प्रस्तुत किया, जिनमें मेडिकल रिपोर्ट, एफआईआर, घटनास्थल का पंचनामा और अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य शामिल थे।
कोर्ट ने सुनाया फैसला
न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और साक्ष्यों पर विस्तार से विचार करते हुए माना कि आरोपी कमलेश ने नाबालिग के साथ गंभीर और दंडनीय अपराध किया है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों के साथ दुष्कर्म न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज के नैतिक मूल्यों के खिलाफ घोर अपराध है। अदालत ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया कि ऐसे अपराधों में कठोर सजा देने से समाज में निवारक संदेश जाता है और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने में मदद मिलती है। विशिष्ट न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष का कठोर कारावास सुनाया तथा 55 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने निर्देश दिया कि जुर्माने की राशि में से एक हिस्सा पीड़िता के पुनर्वास एवं मुआवजे के रूप में दिया जाएगा।