

चेतावनी बिंदु पार कर सरयू नदी खतरे के निशान से महज दो सेंटीमीटर दूरी पर बह रही है। बढ़ने के बाद जलस्तर घटने की बात कही जा रही है।
बाराबंकी में आने वाली है कौन सी बड़ी मुसीबत?
Barabanki: चेतावनी बिंदु पार कर सरयू नदी खतरे के निशान से महज दो सेंटीमीटर दूरी पर बह रही है। बढ़ने के बाद जलस्तर घटने की बात कही जा रही लेकिन भारी बारिश को देखते हुए इस बार नेपाल से छोड़ा गया पानी नदी में गंभीर हलचल लाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, उधर नदी किनारे बसे तराई वासी दहशत में हैं, नदी के स्वभाव की परख रखने वाले ग्रामीण धीरे धीरे पलायन की तैयारी कर रहे। जबकि नदी से जुड़ी तहसीलों के अफसर सबकुछ सामान्य होने की बात कह रहे हैं। बताते चलें कि सरयू नदी का खतरे का निशान 106.007 है और नदी का जलस्तर फिलहाल 105.782 पर जाकर ठहर गया है। दावा किया जा रहा कि जलस्तर बढ़ने के बाद घट रहा है लेकिन कटान से इंकार नही। नदी के खतरे के निशान तक पहुंचने में कमी सिर्फ दो सेंटीमीटर की है और नेपाल से बड़ी मात्रा में पानी छोडे़ जाने की दशा में न सिर्फ यह अंतर खत्म हो जाएगा बल्कि गांवों में पानी तेजी से घुसना शुरु भी हो जाएगा। हर साल नदी का स्वभाव यही रहा है।
गनीमत यह कि कटान के चलते दायरा बढ़ाती गई नदी में आने वाला पानी काफी हद तक फैल जाता है वरना स्थिति अब तक विकराल हो चुकी होती। कुछ भी हो नदी किनारे बसे तराई वासी दोतरफा मार झेल रहे, जलस्तर स्थिर रहने या घटने से जमीन मकान कटान की आगोश में जा रहे तो जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
नदी से जुड़े रामनगर, रामसनेहीघाट, सिरौली गौसपुर के सैकड़ों गांव बाढ़ की दशा में खतरे की चपेट में हैं। ग्रामीण डरे हुए हैं क्योंकि नदी के खतरे का निशान पार करने के बाद उनके पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। भले ही तीनों तहसीलों के अफसर सारी तैयारियां पूरी होने का दावा करें पर गांवों के डूबने व पलायन की स्थिति से कोई बचा नहीं सकेगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए अब तक करोड़ों रुपये फूंके जा चुके पर बचाव के ठोस इंतजाम अब तक नहीं किए जा सके हैं।
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