Barabanki News: वर्तमान सरकार के द्वारा 5 हजार विद्यालयों को बंद करने का फैसला गरीबों पर बड़ा आघात

वर्तमान सरकार के द्वारा 5 हजार विद्यालयों को बंद करने का फैसला गरीबों पर बड़ा आघात:तनुज पुनिया

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 8 July 2025, 9:30 PM IST
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बाराबंकी:  ओबरी स्थित सांसद आवास पर सांसद तनुज पुनिया ने विधिवत चर्चा करते हुये खेद जताया वर्तमान सरकार के द्वारा प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का जो षड्यंत्र किया जा रहा है उससे उन गरीबों दलित एवं पिछड़े वर्ग के बच्चों के उपर घातक हमला है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक,  सांसद ने भाजपा सरकार के द्वारा प्रदेश भर में लगभग 5000 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की जो प्रतिक्रिया की गयी है उससे न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था पर आघात है बल्कि ये फैसला प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक रूप से दलित पिछड़ा एवं आदिवासी समाज के बच्चों को शिक्षा से दूर करने का जो सुनियोजित प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। जिससे इन गरीब पिछड़े दलित समाज के बच्चों की नींव कमजोर होगी एवं शिक्षा से वर्जित हो जाएंगे तो इनका आने वाला भविष्य अंधकार में हो जाएगा। संविधान के द्वारा अनुच्छेद 21 ए के अन्तर्गत सबको शिक्षा का अधिकार है जो कि, वर्तमान सरकार के द्वारा शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है, जो कि हर बच्चे को निशुल्क शिक्षा का अधिकार देता है।

निजीकरण शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा

तनुज पुनिया ने कहा कि, मानसून सत्र में मैं विधवत इस विषय पर चर्चा करूंगा कि, तेलंगाना जैसे प्रदेेश के एक छोटे से खम्मम जिले के एक गांव में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में केवल एक छात्रा पढ़ती है,यह स्कूल एक शिक्षक के साथ चल रहा है और वह अकेली छात्रा चौथी कक्षा में है।स्कूल में दाखिला कम होने के कारण ऐसा हुआ है छात्र का नाम कीर्तना है। यह तेलंगाना की सरकार दर्शाती है कि,उसकी शिक्षा बिना किसी रूकावट के जारी रहे जिसकी स्कूल प्रशासन ने यह व्यवस्था की है। उसने कहा कि अगर स्कूल बन्द हो जाता है तो इसे फिर से खोलना मुश्किल होगा इसलिये उसके पिता ने उसे यहां पढ़ने देने का फैसला किया है। शिक्षा विकास की जननी है, सरकारी स्कूल न केवल शिक्षा का केंद्र है बल्कि समाज में फैली हुई कुरीतियों को विराम लगाने का जो ज्ञान शिक्षकों द्वारा आने वाले भविष्य के बच्चों को समानता और अवसर की प्रतीक है सरकार उन प्रतिक को बंद कर निजीकरण शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा दे रही है जिससे समाज का कमजोर वर्ग गर्त की ओर जाने पर विवश हो जाएगा।

विशेष ध्यान परिणामों और आभावों का विशलेषण

सांसद ने कहा कि कांग्रेस के द्वारा जो शिक्षा को जन अधिकार बनाने के लिए देशभर में प्राथमिक विद्यालयों की एक बहुत बड़ी श्रंखला खड़ी की थी एकलव्य मॉडल स्कूल प्राइमरी एजुकेशन मिशन तथा मिल्ड डे मील जैसी तमाम योजनाओं को गरीब वर्ग के बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने का जो प्रयास किया था वह शिक्षा उपकार एवं प्रारम्भिक शिक्षा कोष,बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान परिणामों और आभावों का विशलेषण, सर्व शिक्षा अभियान का विस्तार और पुनः गठन एवं मध्य भोजन का विस्तार आदि,कांग्रेस सरकार के द्वारा सुनिश्चित किया गया था। प्राथमिक विद्यालय केवल इमारतें नही बल्कि एक ग्रामीण भारत के भविष्य के निर्माता हैं। इन विद्यालय में बच्चो को मजबूतत व बेहतर शिक्षा प्रदान करना देश के अग्रिम विकास के लिये अत्यन्त आवश्यक है जो देश को उन्नत की ओर ले जाने का एवं शिक्षित समाज की एक रूपरेखा तैयार कर हर वर्ग को शिक्षा का अधिकार दिया था।

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