

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
यूनिवर्सिटी के छात्र
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। इस बार मामला पीएचडी एडमिशन से जुड़ा है, जहां इंटरव्यू में शामिल होने से रोके जाने पर एक छात्र ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई है।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, छात्र ने इस अन्याय के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है और अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है।
क्या है पूरा मामला
मामला विश्वविद्यालय के छात्र पारस से जुड़ा है, जो पीएचडी प्रवेश परीक्षा में पास हो चुका है और उसका नाम साक्षात्कार सूची में भी प्रकाशित हुआ था। लेकिन जब साक्षात्कार प्रक्रिया शुरू हुई तो उसे इसमें भाग लेने से रोक दिया गया। छात्र को जब इस बारे में पता चला तो उसने संबंधित अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने जवाब देना उचित नहीं समझा और न ही स्थिति स्पष्ट की।
जानबूझकर इंटरव्यू से किया गया बाहर
छात्र पारस का आरोप है कि उसे जानबूझकर एक साजिश के तहत इंटरव्यू से बाहर रखा गया। उसका नाम एक ऐसे मामले में घसीटा गया जिसमें उस पर वीसी की गाड़ी रोकने और बदसलूकी करने का आरोप था। छात्र का दावा है कि एएमयू प्रशासन के पास इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, इसके बावजूद उसे पांच साल के लिए यूनिवर्सिटी से बाहर कर दिया गया।
बार-बार किया गया नजरअंदाज
पारस का कहना है कि प्रशासन के इस फैसले से उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि वे लगातार प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन हर बार उनकी अनदेखी की गई। अब जब उन्हें कोई और विकल्प नहीं दिखा तो उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर लगे आरोप
छात्र का यह भी कहना है कि ऐसा सिर्फ़ उसके साथ ही नहीं बल्कि एएमयू में कई छात्रों के साथ होता रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन पर यह भी आरोप लग रहा है कि वह असहमत छात्रों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रहा है और उन पर झूठे मुकदमे लगाकर उन्हें परेशान कर रहा है।
अन्य छात्रों ने दिए बयान
विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों ने भी पारस के समर्थन में बयान दिया और कहा कि एएमयू प्रशासन का रवैया निरंकुशता की ओर इशारा करता है। छात्रों की मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और छात्र को न्याय मिलना चाहिए।