न्याय की जिद में 9 दिन से अनशन पर बैठा अलीगढ़ का किसान, क्या भूमाफिया के सामने प्रशासन ने टेके घुटने?

अलीगढ़ में भू-माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले किसान अमानत शरण का आमरण अनशन नौवें दिन में पहुंच गया है। बैनामा सुदा जमीन पर जबरन कब्जे के विरोध में वे जिला मुख्यालय पर न्याय की आस में बैठे हैं, मगर प्रशासन अब तक मौन है।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 8 October 2025, 4:54 PM IST

Aligarh: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में न्याय की गुहार लगा रहे एक किसान की आवाज पिछले नौ दिनों से अनसुनी बनी हुई है। भू-माफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे अमानत शरण नामक किसान 29 सितंबर से जिला मुख्यालय पर धरने पर बैठे हैं और 4 अक्टूबर से आमरण अनशन पर हैं। उनका दोष बस इतना है कि उन्होंने अपनी बैनामा सुदा जमीन पर हुए जबरन कब्जे का विरोध किया।

कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा

लगातार होती बारिश, भूख, थकावट और मच्छरों के कहर के बीच भी अमानत शरण का हौसला टूटता नजर नहीं आता। उनके कमजोर होते शरीर में अब भी इतनी ताकत बची है कि वह इंसाफ की आवाज बुलंद कर रहे हैं। लेकिन दुखद पहलू यह है कि प्रशासन की ओर से अब तक कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा।

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धरना स्थल पर मौजूद नरेंद्र पाल सिंह (भाजपा पार्षद के भाई) भी बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, हम ये धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे। गरीब की जमीन हड़पने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। अगर कानून सच में सबके लिए बराबर है, तो फिर हमारी आवाज क्यों अनसुनी है?”

क्या है मामला?

किसान अमानत शरण का आरोप है कि उन्होंने अपनी जमीन का विधिवत बैनामा कराया था। लेकिन इलाके के कुछ प्रभावशाली भू-माफियाओं ने मिलीभगत कर उस पर जबरन कब्जा कर लिया। जब उन्होंने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन और पुलिस से की तो उन्हें न्याय दिलाने के बजाय टालने की कोशिश की गई।

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अमानत शरण ने कहा, “मैंने सबूतों के साथ अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन मेरी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब मेरे पास आमरण अनशन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।”

धरना स्थल पर सन्नाटा, लेकिन हौसले बुलंद

धरना स्थल पर ज्यादा भीड़ नहीं है, न ही कोई राजनीतिक समर्थन स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। लेकिन अमानत शरण का कहना है कि ये लड़ाई केवल उनकी नहीं, हर उस गरीब किसान की है जिसकी जमीन को जबरन छीना जाता है। धरने के नौवें दिन उनकी तबीयत भी बिगड़ने लगी है, लेकिन न तो कोई मेडिकल टीम भेजी गई है, और न ही प्रशासनिक अधिकारी। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की यह चुप्पी कहीं न कहीं दोषियों को ही संरक्षण देती दिख रही है।

Location : 
  • Aligarh

Published : 
  • 8 October 2025, 4:54 PM IST