देवरिया में मुस्लिम ने अल्लाह को दी अपनी कुर्बानी, बकरीद के दिन खुद का चाकू से काटा गला, जानें पूरा मामला

इंसान को जानवरों की तरह नहीं बल्कि बेटे की तरह पाल-पोसकर उसकी कुर्बानी की जाती है। वह अपने इस कदम को अल्लाह और रसूल के नाम से कर रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 8 June 2025, 6:51 PM IST
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देवरिया: एक मुस्लिम व्यक्ति ने बकरीद पर अपने जीवन का बलिदान दे दिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैलाकर धार्मिक आस्था और मानवता दोनों को झकझोर कर रख दिया है। आइए इस घटना का विस्तृत विवरण जानते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, गांव के ही एक धार्मिक और आदर्श परिवार के सदस्य ईश मोहम्मद (60) ने अपने गले को चाकू से रेता और खुद को कुर्बान कर दिया। यह घटना बकरीद के दिन हुई, जो इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। ईश मोहम्मद ने अपनी जान देने से पहले एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने कहा, "इंसान को जानवरों की तरह नहीं बल्कि बेटे की तरह पाल-पोसकर उसकी कुर्बानी की जाती है। वह अपने इस कदम को अल्लाह और रसूल के नाम से कर रहा है।"

परिवार में 3 बेटे

यह घटना देवरिया जिले के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव की है। जो जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर है। गांव के निवासी ईश मोहम्मद अपने परिवार के साथ रहते थे। उनके तीन बेटे हैं। बड़े बेटे अहमद अंसारी और दूसरे बेटे मोहम्मद फैज उनके साथ रहते हैं। जबकि छोटा बेटा ताज मुंबई में कमाता है। परिवार का मकान तीन कमरों का पक्का घर है। जिसके बगल में झोपड़ी में बकरियां बंधी हैं।

क्या हुआ था ईद के दिन?

ईश मोहम्मद ने सुबह मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज पढ़ी। करीब 10 बजे वह घर लौटे और सीधे झोपड़ी में चले गए। लगभग एक घंटे बाद पड़ोसियों ने उनकी कराहने की आवाज सुनी। जब वे मौके पर पहुंचे तो देखा कि उनके गले से खून बह रहा है और उनके पास ही खून से लथपथ चाकू पड़ा था। घर में खून के धब्बे और खून से लथपथ जमीन देखकर चीख-पुकार मच गई। तत्काल ही परिजन और पड़ोसी उन्हें अस्पताल लेकर भागे, जहां डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखकर उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। झोपड़ी में एक चारपाई थी, जिस पर ईश मोहम्मद सोते थे। उनके सिर की दिशा उत्तर थी और मुंह पर मास्क था। उनके पास ही बकरियों के बांधने के खूंटे लगे थे। चारपाई के पास एक छोटा बॉक्स था। जिसमें अगरबत्ती और अन्य सामान रखे थे। गले से खून बह रहा था और खून ही खून बिखरा हुआ था।

ईश मोहम्मद का अंतिम पत्र

ईश मोहम्मद ने अपने अंतिम पत्र में लिखा, "इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पोसकर कुर्बानी करता है। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम कर रहा हूं। किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है। सुकून से मिट्‌टी देना। किसी से डरना नहीं है। जिस जगह खूंटा है, वही जगह मेरी कब्र होनी चाहिए।"

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