

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में अचानक एक ओवरहेड पानी की टंकी फट गई। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
जल भंडारण टैंक (सोर्स- रिपोर्टर)
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद में एक बड़ा हादसा होते-होते बचा है, जिसके चलते क्षेत्र में भारी नुकसान हो सकता था। बता दें कि ईसानगर के शेखापुर गांव (Shekhapur village) में अचानक ही ओवरहेड पानी की टंकी फट गई, जिसके चलते एक बड़ा हादसा टल गया।
जल निगम के अधिशासी अभियंता का तबादला
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले में जल निगम (Jal Nigam) के अधिशासी अभियंता का तबादला हो चुका है। संबंधित एई और जेई की सेवा भी समाप्त की जा चुकी है। लेकिन कार्यदायी संस्था पर अब तक जवाबदेही तय नहीं की गई, जो कि एक बड़ा सवाल है।
जल भंडारण टैंक (सोर्स- रिपोर्टर)
टंकी का ऊपरी हिस्सा फटा
शेखापुर गांव में ओवरहेड पानी की टंकी (Water Tank) का निर्माण कार्यदायी संस्था बीटीएल ने कराया है। निर्माण की गुणवत्ता पर ग्रामीण पहले ही सवाल उठा चुके थे, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। नतीजा 26 अप्रैल को देखने को मिला। पानी टंकी का ऊपरी हिस्सा फट गया, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया। यह मुद्दा शासन तक पहुंचा तो टीम जांच करने पहुंची। टंकी निर्माण में उपयुक्त होने वाली सामग्री को जांच के लिए कानपुर भेजा गया था।
जिला प्रशासन ने की कमेटी गठित
वहीं, जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर कमेटी गठित कर जांच कराई थी। हालांकि, आज तक न तो जांच रिपोर्ट का खुलासा हो सका न ही कानपुर भेजी गई जांच रिपोर्ट का कुछ पता चल सका। विभागीय अफसरों पर कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन निर्माण इकाई पर कार्रवाई न होना बड़ा सवाल है।
जल भंडारण टैंक (सोर्स- रिपोर्टर)
जल निगम ग्रामीण के एई दीन प्रभाकर का बयान
खास बात यह है कि जमीदार भी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। जल निगम ग्रामीण के एई दीन प्रभाकर ने बताया कि शेखापुर में टंकी फटने के मामले में शासनस्तर की टीम ने जांच की है। इसमें जो भी होना है वह मुख्यालय से ही किया जाना है।
इस गांव में ओवरहाइट पानी की टंकी बनाने के बाद भी नहीं मिल रहा है पानी
वहीं, दूसरी और जिले के ग्राम पंचायत लालपुर में आठ वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से बनी ओवरहाइट पानी की टंकी आज तक ग्रामीणों को एक घूंट साफ पानी तक नहीं दे सकी। टंकी तो है, लेकिन पानी नहीं – और जिम्मेदार मौन हैं। सरकारी योजनाओं के तहत बनाई गई यह टंकी आज शोपीस बनकर रह गई है। गांव के बुज़ुर्ग हों या बच्चे, आज भी लोगों को हैंडपंप या दूर-दराज के जल स्रोतों से पानी लाने को मजबूर होना पड़ता है।