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संचार साथी एप को लेकर फैले विवाद के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह ऐप यूजर की अनुमति के बिना कोई निजी जानकारी इकट्ठा नहीं करता। ऐप का उद्देश्य केवल मोबाइल सुरक्षा, फ्रॉड रोकथाम और चोरी हुए फोन की ट्रैकिंग में मदद करना है।
यूजर की मर्जी से ही काम करता है संचार साथी एप
New Delhi: केंद्र सरकार द्वारा सभी नए स्मार्टफोन्स में साइबर सुरक्षा एप संचार साथी (Sanchar Saathi) को प्री-लोडेड करने के निर्देश के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस फैसले का जोरदार विरोध करते हुए दावा किया है कि यह ऐप 'जासूसी उपकरण' की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और यह आम नागरिकों की निजी स्वतंत्रता और गोपनीयता के लिए खतरा है। इसके विपरीत, सरकार ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि यह ऐप केवल दूरसंचार नेटवर्क को सुरक्षित करने और मोबाइल चोरी-फ्रॉड रोकने के लिए बनाया गया है। सरकार का कहना है कि यह एप बिना यूजर की अनुमति के कोई भी निजी जानकारी नहीं लेता।
संचार साथी एप को मई 2023 में लॉन्च किया गया था और अब सरकार इसे नए उपकरणों में अनिवार्य रूप से लोड करने के फैसले पर आगे बढ़ रही है। आइए समझते हैं कि यह ऐप क्या करता है, कैसे काम करता है और इस पूरे विवाद की जड़ क्या है…
संचार साथी ऐप पर टेलीकॉम फ्रॉड की रिपोर्ट कैसे करें? जानें स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
28 नवंबर को दूरसंचार मंत्रालय ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश जारी किए कि वे अपने नए फोन में संचार साथी को पहले से इंस्टॉल करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यह फोन की पहली सेटिंग के दौरान दिखाई दे और सक्रिय रहे।
जो यूजर इस ऐप को नहीं रखना चाहते, वे इसे आसानी से अनइंस्टॉल कर सकेंगे।
पहले से बने मॉडलों में यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा।
उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस अपडेट के बाद ऐप लगभग 73.5 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स तक पहुंच सकता है, जिससे यह देश के सबसे बड़े डिजिटल सुरक्षा उपकरणों में शामिल हो जाएगा।
संचार साथी को सरकार ने एक यूजर-सेंट्रिक सिक्योरिटी टूल के रूप में पेश किया है। इसका उद्देश्य मोबाइल चोरी, फर्जी सिम, फ्रॉड कॉल, साइबर धोखाधड़ी और IMEI बदलने जैसे अपराधों पर रोक लगाना है।
गोपनीयता पर नहीं पड़ेगा असर
1. खोए या चोरी हुए मोबाइल को ट्रैक और ब्लॉक करें
ऐप IMEI नंबर के आधार पर डिवाइस को ब्लॉक करने की सुविधा देता है, जिससे चोरी हुआ मोबाइल बेकार हो जाता है।
2. पता करें- आपके नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं?
यह सुविधा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिनके नाम पर बिना जानकारी के सिम कार्ड जारी कर दिए जाते हैं।
3. धोखाधड़ी वाली कॉल की पहचान और रिपोर्टिंग
ऐप यूजर्स को फ्रॉड कॉल रिपोर्ट करने की सुविधा देता है, जिससे टेलीकॉम कंपनियां और पुलिस ऐसे नंबरों के खिलाफ कार्रवाई कर सके।
4. सेकंड-हैंड मोबाइल खरीदने से पहले उसकी वैधता की जांच
इस्तेमाल किए गए फोन की IMEI सत्यता जांचकर यह पता लगाया जा सकता है कि डिवाइस चोरी का है या नहीं।
सरकार का कहना है कि अपराधी अक्सर चोरी हुए मोबाइल में वैध IMEI डाल देते हैं, जिससे अपराधियों का पता लगाना मुश्किल होता है। इस ऐप के जरिए ऐसे अपराधों को रोका जा सकता है।
विपक्ष का आरोप है कि यह ऐप फोन में प्री-लोडेड रहने से सरकार को नागरिकों की नजरबंदी का रास्ता मिल जाएगा।
लेकिन सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा-
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विपक्ष का कहना है कि-
फोन में अनिवार्य ऐप डालना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
सरकार इस ऐप का दुरुपयोग कर सकती है।
सरकार का तर्क है कि-
यह ऐप स्पाईवेयर नहीं है।
मोबाइल चोरी, IMEI क्लोनिंग और साइबर धोखाधड़ी रोकने का सबसे असरदार तरीका यही है।