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भारत सरकार का संचार साथी ऐप अब यूजर्स को टेलीकॉम फ्रॉड से बचने के लिए एक पावरफुल प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इस ऐप के जरिए आप चोरी हुए फोन को ब्लॉक कर सकते हैं, अपनी पहचान की सुरक्षा कर सकते हैं और किसी भी तरह के फ्रॉड की शिकायत सीधे DoT में दर्ज कर सकते हैं।
संचार साथी ऐप (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: भारत में मोबाइल और टेलीकॉम फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) द्वारा लॉन्च किया गया संचार साथी ऐप एक महत्वपूर्ण सुरक्षा टूल बन चुका है। इस ऐप के जरिए, यूजर्स न केवल चोरी हुए फोन को ब्लॉक कर सकते हैं, बल्कि अपने नाम पर जारी SIM कार्ड की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, नकली नंबर रिपोर्ट कर सकते हैं, और सीधे फ्रॉड की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। संचार साथी ऐप का उद्देश्य मोबाइल सुरक्षा, पहचान की चोरी की रोकथाम और साइबर अपराधों से बचाव करना है।
संचार साथी ऐप में दो प्रमुख मॉड्यूल होते हैं: CEIR और TAFCOP। CEIR (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) यूजर्स को चोरी हुए या खोए हुए फ़ोन को ब्लॉक करने का मौका देता है, ताकि उनका गलत इस्तेमाल न हो सके। दूसरी ओर, TAFCOP (टेलीकॉम एप्लिकेशन फॉर फ्रॉड चेकिंग) यूजर्स को यह देखने की सुविधा देता है कि उनके नाम पर कितने SIM कार्ड जारी किए गए हैं, और क्या उनमें से किसी कार्ड का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह ऐप टेलीकॉम ऑपरेटरों और सरकारी डेटाबेस से जुड़ा होता है, जिससे फ्रॉड के मामलों में तेजी से कार्रवाई हो सकती है।
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फ्रॉड की रिपोर्ट करने के लिए संचार साथी ऐप को डाउनलोड करें या इसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं। फिर फ्रॉड मैनेजमेंट सेक्शन में जाकर 'रिपोर्ट फ्रॉड' का विकल्प चुनें। इसके बाद आपको अपने मोबाइल नंबर, पहचान संबंधी जानकारी और फ्रॉड से जुड़ी घटना की पूरी जानकारी भरनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपके दस्तावेज का गलत इस्तेमाल कर किसी ने SIM कार्ड प्राप्त किया है या आपको किसी धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है, तो इन घटनाओं की पूरी जानकारी आपको यहां देनी होगी।
शिकायत दर्ज करने के बाद आपको एक रेफरेंस ID प्राप्त होगी, जिसे आप अपने शिकायत के स्टेटस को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होता है, जिससे पुलिस स्टेशन या टेलीकॉम सेंटर जाने की जरूरत नहीं होती है।
टेलीकॉम फ्रॉड रिपोर्ट करना हुआ आसान (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
शिकायत दर्ज करने के बाद, DoT (डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस) टीम टेलीकॉम कंपनियों से जानकारी लेकर मामले की जांच शुरू करती है। अगर शिकायत में किसी नकली SIM या पहचान की चोरी शामिल है, तो उस SIM को तुरंत ब्लॉक कर दिया जाता है। वहीं, चोरी हुए फोन के मामले में, फोन के IMEI नंबर को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है ताकि वह किसी भी नेटवर्क पर काम न कर सके। इसके अलावा, कुछ मामलों में पुलिस या साइबर सेल यूज़र से संपर्क करके मामले की आगे की जानकारी ले सकती है।
अगर टेलीकॉम फ्रॉड के कारण पैसों का नुकसान हुआ है, तो संचार साथी सबसे पहले यूजर के नंबर या डिवाइस को ब्लॉक कर देता है। इसके बाद, शिकायत अपने आप I4C साइबर क्राइम पोर्टल और संबंधित राज्य की साइबर पुलिस को भेज दी जाती है। बैंक और पुलिस को तुरंत अलर्ट भेजा जाता है, और संदिग्ध अकाउंट को फ्रीज कर दिया जाता है।
अगर पैसे ट्रांज़ैक्शन प्रोसेस में हैं, तो बैंक उस ट्रांज़ैक्शन को रोक देता है। इसके बाद, अगर जांच में यह पुष्टि हो जाती है कि ट्रांज़ैक्शन फ्रॉड था, तो बैंक आरबीआई के नियमों के अनुसार पीड़ित को रकम वापस कर देता है। हालांकि, यह हमेशा संभव नहीं हो पाता है, लेकिन संचार साथी ऐप से पैसे वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
संचार साथी ऐप का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह यूज़र्स को टेलीकॉम फ्रॉड से बचने और अपनी पहचान की सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है। खासकर उन लोगों के लिए, जिनके नाम पर बिना अनुमति SIM कार्ड जारी किए गए हैं या जिनके व्यक्तिगत दस्तावेज का गलत इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की गई है। इस ऐप के जरिए टेलीकॉम फ्रॉड से बचाव करना बेहद आसान हो गया है। इसके अलावा, इस ऐप के ज़रिए यूज़र्स अपने चोरी हुए या खोए हुए फ़ोन को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे उनका गलत इस्तेमाल रोका जा सकता है।
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आजकल, संचार साथी ऐप का इस्तेमाल बढ़ रहा है, खासकर उन यूजर्स के लिए जो टेलीकॉम फ्रॉड और साइबर अपराधों से बचने के लिए एक सुरक्षित उपाय चाहते हैं। यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है और जल्द ही कई स्मार्टफोन में प्री-इंस्टॉल किया जाएगा। इसके ज़रिए, यूज़र्स न केवल खुद को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और दोस्तों को भी इन खतरों से बचा सकते हैं।