

भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% नए टैरिफ से एपल जैसी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। इससे iPhone जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। एपल फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में है।
iPhone की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत नए टैरिफ से भारत में अपना उत्पादन और निर्यात बढ़ा रही एपल को बड़ा झटका लगा है। इस फैसले से कंपनी की उत्पादन रणनीति और भविष्य की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे iPhone जैसे प्रीमियम प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है।
अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील में लंबे समय से चल रही देरी के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को भारत से आने वाले कुछ प्रोडक्ट्स पर 25 प्रतिशत नया टैरिफ लगाने की घोषणा की। इसका सीधा असर भारत से अमेरिका को होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के निर्यात पर पड़ेगा। भारत की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 में 14 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स, 10.5 बिलियन डॉलर के दवाओं और 4.09 बिलियन डॉलर के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात किया गया है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
इस फैसले से विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र प्रभावित होगा, क्योंकि अभी तक इन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ नहीं लगता था। एपल, जो भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित कर रही थी, इस फैसले से संकट में आ गई है। कंपनी ने हाल ही में भारत में उत्पादन बढ़ाने और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निर्यात को दोगुना करने की योजना बनाई थी।
अब यह स्पष्ट नहीं है कि इन टैरिफ्स का दायरा कितना व्यापक होगा, लेकिन बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इनका विस्तार हुआ तो एपल को अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं। यह बदलाव भारत में भी महसूस किया जा सकता है, क्योंकि आयात की लागत बढ़ने पर कीमतें उपभोक्ताओं तक पहुंचेंगी।
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों को लेकर भी अतिरिक्त जुर्माने की चेतावनी दी है, जो दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है। जानकारों के अनुसार, एपल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं और आगे की नीतिगत स्पष्टता का इंतजार कर रही हैं।
यदि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द नहीं होती है, तो भारत में एपल का मैन्युफैक्चरिंग प्लान धीमा पड़ सकता है और कंपनी अन्य विकल्पों की तलाश कर सकती है। यह भारत के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जिसने हाल के वर्षों में एपल जैसे ग्लोबल ब्रांड्स को देश में लाने के लिए निवेश और नीतियों में बड़े बदलाव किए हैं।