मिजोरम में शरणार्थियों की डिजिटल पहचान की पहल, जुलाई के अंत से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन
मिजोरम की हरी-भरी पहाड़ियों में बीते कुछ वर्षों से एक अनकही कहानी पल रही है। एक ऐसी कहानी जो मानवीय करुणा, सांस्कृतिक अपनापन और अब तकनीकी प्रबंधन के संगम की है। म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर से आए हज़ारों शरणार्थियों के लिए मिजोरम सिर्फ एक सुरक्षित ठिकाना नहीं, बल्कि एक “अपनों का घर” बन चुका है।