सिद्धार्थनगर जिला अस्पताल में देखिये कैसी मची है अंधेरगर्दी, ग्राउंड जीरो से डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर का जिला अस्पताल अव्यवस्थाओं का शिकार हो चुका है। यहां किये गये दावों के उलट डॉक्टर की लिखी पर्ची की दवा मरीजों को बाहर से लेनी पड़ती है। पढ़िये ग्राउंड जीरो से डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



सिद्धार्थनगर: जिला अस्पताल सिद्धार्थनगर अस्पताल के प्रवेश द्वार पर सरकार और अस्पताल प्रशासन द्वारा रोगियों व जरूरतमंदों के लिये लिखित में मुफ्त दवा समेत कई दावे किये हुए है लेकिन अस्पताल की व्यस्थाओं से रूबरू होने पर इन दावों का खुद पोल खुल जाती है। डाइनामाइट न्यूज़ में स्थानीय लोगों की शिकायतों को लेकर जब अस्पताल पहुंचकर सरकार के दावों के पड़ताल की तो कई हैरान करे वाली बातें सामने आई।

स्वागत द्वार लिखा नंबर किसका?
अस्पताल के स्वागत द्वारा पर लिखा गया है कि "इस चिकित्सालय के चिकित्सक द्वारा रोगी को ब्रांडेड महंगी दवाएं लिखे जाने पर रोगी/तीमारदार मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से संपर्क करें।" लेकिन इस दावे वास्तिवकता और जमीनी हकीकत क्या है, यह जानकर होर कोई हैरान रह जायेगा। चौकाने वाली बात देखिये कि वहाँ शिकायत के सम्पर्क सूत्र में जो दो CUG नम्बर लिखे गये है, वे नम्बर सिद्धार्थनगर में तैनात किसी भी चिकित्सा से जुड़े अधिकारी का हैं ही नहीं। इसका मतलब बस लोगों और तीमारदारों को गुमराह करने को कोटापूर्ती के लिये ऐसा लिख दिया गया है।

अस्पताल जाएं लेकिन जेब गर्म करके
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक जिला अस्पताल में अगर आप अपनी बीमारी से संबंधित इलाज के लिए जाते हैं तो अपनी जेब गर्म करके जाइये। नहीं तो आपको वहाँ से पैसे के अभाव में दवा नहीं मिल सकेगी और खाली हाथ घर वापस लौट आना पड़ेगा। यह बात थोड़ा आपको अजीब सी लगी होगी लेकिन आज की हकीकत से जब आपको रूबरू कराएंगे तो आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। 

पढ़िये एक पीड़ित की व्यथा
मामला है सिद्धार्थनगर जनपद के जिला अस्पताल में जगदीश नाम का विकलांग व्यक्ति अपनी बीमारी का इलाज कराने आया था। उसने इलाज तो करवा लिया लेकिन जब डॉक्टर साहब ने उसकी दवा लिखी तो वह अस्पताल के निजी काउंटर पर गया तो उसे वहां डॉक्टर साहब की लिखी एक-दो दवाइयां ही मिली और उसे अन्य दवाइयों के लिए अन्य दवाएं बाहर मिलेंगी कहकर भेज दिया गया। इस बात से आहत होकर उसने डॉक्टर साहब से दवा न मिलने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि बाहर से ही व्यस्था कर लेना। नहीं तो जाकर CMO साहब से कहिये। साहब बेरुखी के बाद टेबल पर उन दवाईयों को भी छोड़कर बाहर निकल आया।

पीड़ित जगदीश ने अपनी आपबीती डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को सुनाई। उक्त मामले में अब मरीज और तीमारदार किससे शिकायत करें जब अस्पताल के स्वागत द्वार पर लिखे नम्बर ही सहीं न हो।










संबंधित समाचार