खतरों के बावजूद क्यों बढ़ रहा है जोखिमपूर्ण पर्यटन?, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
उत्तर अटलांटिक में पर्यटकों को टाइटैनिक जहाज का मलबा दिखाने जाते समय लापता हुई टाइटन पनडुब्बी की तलाश करते बचाव दलों को दुनियाभर के लोगों ने हैरत भरी नजरों से देखा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
सिडनी: उत्तर अटलांटिक में पर्यटकों को टाइटैनिक जहाज का मलबा दिखाने जाते समय लापता हुई टाइटन पनडुब्बी की तलाश करते बचाव दलों को दुनियाभर के लोगों ने हैरत भरी नजरों से देखा।
ऐसे में इस भयावह घटना से सवाल खड़े हो गए हैं कि लोग दूरदराज के स्थानों में जोखिम भरी पर्यटन गतिविधियां करने क्यों जाते हैं और क्या खतरा मोलने वाले इन पर्यटकों पर अधिक पाबंदियां लगनी चाहिए।
‘फ्रंटियर टूरिज्म’ क्या है?
इस प्रकार के जोखिमपूर्ण पर्यटन को “फ्रंटियर टूरिज्म” कहा जाता है।
जोखिमपूर्ण पर्यटन उद्योग अरबों डॉलर का है और यह उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। ‘फ्रंटियर टूरिज्म’ जोखिमपूर्ण पर्यटन का एक खतरनाक रूप है।
ये यात्राएं काफी महंगी होती हैं। इनका उद्देश्य इंद्रियों को अत्यधिक उत्तेजित करना और हमारे ग्रह की बाहरी सीमाओं तक जाना होता है जिनमें गहरे समुद्र, ऊंचे-ऊंचे पर्वत, ध्रुवीय क्षेत्र और यहां तक की अंतरिक्ष भी शामिल हैं।
यह भी पढ़ें |
जी-20 की बैठकों से गोवा टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
‘फ्रंटियर टूरिज्म’ नया नहीं है; मानव ने सहस्राब्दियों तक दूरस्थ स्थानों की खोज की है। प्रशांत क्षेत्र के लोग प्रवास और व्यापार के लिए महासागरों की यात्रा करते समय नक्षत्रों का उपयोग करते थे। यूरोपीय लोग उस भूमि के किनारों तक पहुंचे, जिसे वे चपटी पृथ्वी मानते थे।
हालांकि, हाल के वर्षों में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई, अंटार्कटिक में स्थित समुद्री रास्ते ‘ड्रेक पैसेज’ के पार करने की होड़ और अमीरों के लिए अंतरिक्ष पर्यटन के तेजी से विकास के कारण ‘फ्रंटियर टूरिज्म’ ने व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित किया है।
अपनी यात्रा के वीडियो सोशल मीडिया पर डालने का चलन बढ़ने और कोविड-19 के बाद यात्रा करने की लोगों की ललक के कारण ‘फ्रंटियर टूरिज्म’ की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।
हम इस तरह के पर्यटन के प्रति इतना आकर्षित क्यों होते हैं?
जोखिम भरी गतिविधियां मस्तिष्क में ऐसे रसायन छोड़ती हैं जिनकी लत लग सकती है।
शोध से पता चलता है कि ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने जैसी जोखिम भरी पर्यटन गतिविधियों में शामिल होने से सफलता और उत्साह की भावनाएं आ सकती हैं। पर्यटक तरोजाता और कुछ बदला-बदला सा महसूस करते हैं।
यह भी पढ़ें |
Ram Mandir: राम मंदिर निर्माण से पर्यटन सेक्टर को मिलेगा फायदा, जानें कैसे
लेकिन ‘फ्रंटियर टूरिज्म’ स्पष्ट रूप से सभी के लिए नहीं है। यह आमतौर पर केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए ही सुलभ है।
टाइटन पनडुब्बी में यात्रा करने वालों ने इसके लिए कथित तौर पर 250,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया।
‘फ्रंटियर टूरिज्म’ के क्या प्रभाव होते हैं?
इस तरह के पर्यटन के कई प्रभाव हैं, जैसे चीजें गलत होने पर दोस्तों और परिवार के लोगों का गुस्सा सहना पड़ता है।
इस प्रकार की यात्रा से पर्यावरणीय क्षति हो सकती है और स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, दशकों के सामूहिक पर्वतारोहण के बाद, माउंट एवरेस्ट पर पर्यावरणीय प्रभाव देखा जा सकता है।
इसके अलावा इस तरह के पर्यटन के दौरान जब दुर्घटनाएं होती हैं, तो खोज व बचाव कार्यों में भारी खर्च आता है और यह बचाव टीमों को बड़े जोखिम में डाल सकता है। ऐसे में जोखिमपूर्ण पर्यटन का चलन भले ही बढ़ गया हो, लेकिन इसके अपने खतरे हैं, जो अब भी बरकरार हैं।