IAS Arvind Sharma: क्या होगा पीएम मोदी के करीबी आईएएस अरविंद शर्मा का अगला कदम? क्या जुड़ेंगे यूपी की राजनीति से?

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद अफसरों में शुमार गुजरात कैडर के 1988 बैच के आईएएस अरविन्द कुमार शर्मा (एके शर्मा) के अचानक वीआरएस लेने के फैसले ने हर किसी को सकते में डाल दिया है। जितने मुंह-उतनी बात। सभी की निगाह उनके अगले कदम को लेकर है। वे क्या उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ने जा रहे हैं? या फिर कोई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पीएम उन्हें देने का मन बना हैं? डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

अरविन्द कुमार शर्मा (फाइल फोटो)
अरविन्द कुमार शर्मा (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: गुजरात कैडर के 1988 बैच के आईएएस अरविन्द कुमार शर्मा (Arvind Kumar Sharma) की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के फैसले ने हर किसी को चौंका दिया है। उन्हें जुलाई 2022 में रिटायर होना था लेकिन अचानक उन्होंने वीआरएस ले लिया? उनका अगला प्लान क्या है? इस सवाल का जवाब बहुत सारे लोग जानना चाहते हैं।

शर्मा पिछले बीस साल से नरेन्द्र मोदी के सहयोगी अफसर के रुप में काम कर रहे थे। सत्ता प्रतिष्ठान में इन्हें पीएम मोदी का काफी भरोसेमंद माना जाता है। 

1 अक्टूबर 2001 से लेकर 30 मई 2014 तक ये लगातार तेरह साल गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में साथ जुड़कर काम करते रहे। जब केन्द्र में मोदी सत्तासीन हुए तो पहली बार ये बतौर आईएएस (IAS) केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आये और सीधे इनकी तैनाती प्रधानमंत्री कार्यालय बतौर संयुक्त सचिव हुई। 3 जून 2014 से लेकर 30 अप्रैल 2020 तक लगातार 6 साल ये पीएमओ में तैनात रहे। 

लॉकडाउन में बदली थी भूमिका
देश जिस समय लॉकडाउन जैसी गंभीर चुनौती से जूझ रहा था, उस वक्त पीएम ने इन्हें पीएमओ से बाहर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का सचिव बनाकर भेज दिया ताकि चुनौतीपूर्ण हालात में ये देश के छोटे-छोटे उद्योग धंधों की हालत सुधार सकें। उस समय पीएम ने अरविंद के अलावा एक और आईएएस तरुण बजाज को भी वित्त मंत्रालय में पीएमओ से बाहर तैनाती थी, तब भी काफी लोगों ने इन दोनों नियुक्तियों को अचरज भरी निगाह से देखा था। करीब आठ महीने के इस कार्यकाल के बाद सोमवार को अचानक शर्मा के वीआएस लेने की खबर सामने आयी। 

पीएम लेंगे अंतिम निर्णय!
डाइनामाइट न्यूज़ ने इस बारे में राजधानी दिल्ली के सत्ता प्रतिष्ठान में कई भरोसेमंद लोगों से बात की। कई का मानना है कि शर्मा का अगला ठिकाना यूपी की राजनीति होगी तो कुछ का मानना है कि इनकी क्षमताओं का पीएम मोदी किसी और जगह उपयोग करेंगे लेकिन लाख टके का सवाल है कि वो कौन सी जगह होगी?

योगी मंत्रिमंडल
डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक यदि शर्मा यूपी की राजनीति का रुख करते हैं तो इनका ठिकाना योगी मंत्रिमंडल होगा। इन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। नौकरी से डेढ़ साल पहले वीआरएस लेने वाले शर्मा मोदी के पूर्व सहयोगी नृपेन्द्र मिश्रा की तरह ही यूपी के मूल निवासी हैं। शर्मा मूल रुप से पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के निवासी हैं। मऊ पहले आजमगढ़ जिले का हिस्सा हुआ करता था। 

आजमगढ़, मऊ और प्रयागराज से है गहरा नाता
डाइनामाइट न्यूज़ के मऊ संवाददाता के मुताबिक मऊ जिले की मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर ब्लाक के काझाखुर्द गांव के मूल निवासी शर्मा के माता-पिता का नाम शिवमूर्ति राय एवं शांति देवी है। इनके बड़े पुत्र अरविंद का जन्म 11 जुलाई 1962 को हुआ। शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से हुई। इसके पश्चात डीएवी इंटर कालेज से हाईस्कूल तथा इंटर की पढ़ाई पूरी कर इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इनके गांव के लोग भी वीआरएस की खबर से हैरान हैं और जानना चाहते हैं कि क्या 32 साल लंबी सरकारी नौकरी के बाद अब वे गांव-जिले-प्रदेश से जुड़ेंगे या फिर कुछ और करेंगे।

एमएलसी नामांकन पर टिकी निगाहें
इधर यूपी में विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) का चुनाव हो रहा है। 12 सीटों के लिए 28 जनवरी को मतदान होगा। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 जनवरी है। माना जा रहा है कि यदि शर्मा का अगला पड़ाव राजनीति हुआ तो ये एमएलसी के रुप में अपना नामांकन कर सकते हैं।

कौन होगा अंदर और कौन बाहर
शर्मा को फरवरी के प्रथम सप्ताह में संभावित यूपी मंत्रिमंडल के बहुप्रतीक्षित फेरबदल में जगह मिल सकती है। यह जगह कैबिनेट मंत्री की होगी या डिप्टी सीएम की, यह देखना दिलचस्प होगा। इधर अंदरखाने चर्चा इस बात की भी है कि एक डिप्टी सीएम को सुशील मोदी की तरह दिल्ली भी बुलाया जा सकता है।

 










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