भाजपा यूपी अध्‍यक्ष पर मंथन शुरू, किसी ओबीसी या दलित का मिल सकती है कमान

डीएन ब्यूरो

डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के केंद्रीय मंत्री बन जाने के बाद उत्‍तर प्रदेश में भाजपा का प्रदेश अध्‍यक्ष कौन बनेगा इसको लेकर पार्टी में अंदरखाने माथापच्‍ची शुरू हो गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भाजपा किसी ओबीसी या दल‍ित को राज्‍य के पार्टी अध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी सौंप सकती है।

स्वतंत्र देव सिंह, विद्या सागर सोनकर, लक्ष्मण आचार्य (फाइल फोटो)
स्वतंत्र देव सिंह, विद्या सागर सोनकर, लक्ष्मण आचार्य (फाइल फोटो)


लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश के भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। अब सवाल उठता है कि यूपी प्रदेश अध्‍यक्ष पद का जिम्‍मा किसको दिया जाएगा। राजनीतिक हलकों में तरह तरह की चर्चाएं हैं लेकिन सूत्रों की माने तो इस बार प्रदेश में ब्राह्मण के बजाय किसी ओबीसी या दलित को प्रदेश अध्‍यक्ष पद सौंपा जा सकता है। 

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डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय के मत्रिपरिषद में शामिल होने के बाद यूपी में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन? इस सवाल के लिए पार्टी की ओर से कवायद शुरू कर दी गई है। पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा अब किसी दलित या अन्य पिछड़ी जाति पर दांव खेल सकती है। इसकी पुष्टि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कार्यकर्ताओं को दिया गया भाषण करता नजर आता है। भाषण में स्पष्‍ट संकेत थे कि सरकार और संगठन, सबका साथ सबका विकास के साथ ही सबका विश्वास भी जीतना चाहता है। 

डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय (फाइल फोटो)

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आम चुनावों के दौरान जैसी खबरें आ रही थी उससे दलितों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के बीच भाजपा अभी उस तरह से अपनी पैठ नहीं बना पाई है जैसी अन्‍य तबकों में। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा में प्रदेश स्तर के कई ऐसे ओबीसी और दलित नेता हैं जिनकी सत्ता और संगठन पर समान रूप से पकड़ है।

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राजनीतिक हलको में कई नामों की चर्चा भी है, जिनमें तीन नामों में भाजपा नेतृत्‍व अपना भरोसा दिखा सकता है। इसमें पहला नाम परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वतंत्र देव सिंह का आता है, जबकि दूसरे नंबर पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री विद्या सागर सोनकर का नाम लिया जा रहा है। तीसरे नम्बर पर प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य का नाम भी तेजी से उछलने लगा है।

साथ ही लोकसभा चुनाव जीत के बाद भाजपा की कार्यशैली से पता चल रहा है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में जुट जाना चाहती है। इस लिहाज से वह दलित और ओबीसी समाज को अपने पाले में लाने का सबसे बड़ा दांव प्रदेश अध्‍यक्ष पद देकर चलना चाहती है। 

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उत्‍तर प्रदेश में भाजपा का लोकसभा में प्रदर्शन अच्‍छा रहा है इसके बावजूद पार्टी ओबीसी और दलित वोटों को साधने का कोई प्रयास नहीं छोड़ रही है।  










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