कर्नाटक विधानसभा में हंगामा, भाजपा के 10 विधायक ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए निलंबित

डीएन ब्यूरो

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू टी कादर ने बुधवार को सदन में ‘‘अशोभनीय और अपमानजनक आचरण’’ के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 10 विधायकों को विधानसभा के शेष सत्र से निलंबित कर दिया।

कर्नाटक विधानसभा  (फाइल)
कर्नाटक विधानसभा (फाइल)


बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू टी कादर ने बुधवार को सदन में ‘‘अशोभनीय और अपमानजनक आचरण’’ के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 10 विधायकों को विधानसभा के शेष सत्र से निलंबित कर दिया।

सदन में अराजक दृश्य देखने को मिला जब भाजपा के कुछ विधायकों ने विधेयकों और एजेंडे की प्रतियां फाड़ दीं और उन्हें आसन पर बैठे उपाध्यक्ष पर फेंक दिया। इसके बाद अध्यक्ष ने 10 विधायकों को निलंबित कर दिया।

वहीं, विपक्षी दल भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों ने विधानसभा सचिव को अध्यक्ष कादर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया।

पिछले दो दिनों में बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का कथित रूप से ‘‘दुरुपयोग’’ करने के लिए कांग्रेस नीत सरकार के खिलाफ दोनों विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा में प्रदर्शन करने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया।

अध्यक्ष ने भाजपा के जिन 10 विधायकों को निलंबित किया है वे हैं-डॉ. सी एन अश्वथ नारायण, वी सुनील कुमार, आर अशोक, अरागा ज्ञानेंद्र (सभी पूर्व मंत्री), डी वेदव्यास कामथ, यशपाल सुवर्ण, धीरज मुनिराज, ए उमानाथ कोटियन, अरविंद बेलाड और वाई भरत शेट्टी।

विधानसभा सत्र तीन जुलाई को शुरू हुआ और 21 जुलाई को समाप्त होने वाला है। निलंबित किए गए भाजपा विधायकों में से कुछ को मार्शल द्वारा विधानसभा कक्ष से जबरन बाहर ले जाया गया।

भाजपा विधायकों ने पार्टी के 10 विधायकों को निलंबित करने के अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ पहले उनके कार्यालय के बाहर और फिर विधानसौध के पश्चिमी गेट पर प्रदर्शन किया। जद(एस) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी भी कुछ समय के लिए भाजपा के प्रदर्शन में शामिल हुए।

प्रदर्शन के दौरान अस्वस्थ होने के बाद भाजपा के वरिष्ठ सदस्य बसनगौड़ा पाटिल यतनाल को अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में उनसे मिलने के बाद भाजपा विधायक अश्वथ नारायण ने कहा, ‘‘उनकी हालत स्थिर है और ठीक हो रहे हैं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई समेत प्रदर्शन कर रहे भाजपा विधायकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

अध्यक्ष कादर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर पूर्व मुख्यमंत्री बोम्मई और कुमारस्वामी सहित भाजपा और जद (एस) विधायकों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं।

नोटिस में कहा गया है, ‘‘चूंकि कर्नाटक विधानसभा के सभी सदस्यों द्वारा चुने गए अध्यक्ष ने सदन का विश्वास खो दिया है, इसलिए उन्हें पद से हटाने के लिए हम कर्नाटक विधानसभा के कामकाज संबंधी नियमावली के नियम 169 के अनुसार प्रस्ताव पेश करने का अवसर देने का अनुरोध करते हैं।’’

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा और जद (एस) के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आकर प्रदर्शन करने लगे और कांग्रेस-नीत सरकार पर अपने गठबंधन के नेताओं की ‘सेवा’ के लिए 30 आईएएस अधिकारियों को तैनात करने का आरोप लगा रहे थे।

भाजपा के सदस्यों ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा सोमवार को यहां विपक्षी दलों के नेताओं के लिए दिए गए रात्रि भोज में विधानसभा अध्यक्ष के शामिल होने का मुद्दा भी बार-बार उठाया।

विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने को लेकर बेंगलुरु में सोमवार और मंगलवार को बैठक की।

अध्यक्ष कादर यह कहकर चले गए कि सदन में भोजन अवकाश नहीं होगा और बजट एवं मांगों पर चर्चा जारी रहेगी जिसके बाद उपाध्यक्ष रुद्रप्पा लमानी सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो सदस्य भोजन करना चाहते हैं वे जा सकते हैं और फिर वापस आ जाएं। इस पर भाजपा ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। कुछ समय बाद भाजपा सदस्यों ने आसन की ओर कागज फेंके और कहा कि सदन को इस तरह नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने जानना चाहा, ‘‘सदन चल रहा है, बिना सुचारू व्यवस्था के विधेयक पारित किए जा रहे हैं...किस नियम के तहत भोजनावकाश रद्द कर दिया गया।’’

कांग्रेस विधायकों ने भी भाजपा विधायकों के ‘‘अनुचित’’ व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसके परिणामस्वरूप हंगामा बढ़ता गया। इसके बाद उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

सदन स्थगित होने के बाद, मंत्री कृष्णा बैरे गौड़ा और बी एस सुरेश सहित कुछ कांग्रेस विधायकों ने मार्शल की आलोचना की और सवाल किया कि ‘‘जब उपाध्यक्ष पर कागजात फेंके जा रहे थे तो आप क्या कर रहे थे?’’ उन्होंने कहा कि जल्द कार्रवाई नहीं करने के लिए मार्शल को निलंबित किया जाना चाहिए।

कुछ कांग्रेस विधायकों ने यह भी कहा कि लमानी पर भाजपा का हमला प्रेरित था, क्योंकि वह दलित हैं।

सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा विधायक आर अशोक, एस सुरेश कुमार और वी सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के लिए भेजने के बजाय, आईएएस अधिकारियों का इस्तेमाल उन राजनीतिक नेताओं की दो दिनों के लिए मेजबानी करने के लिए किया, जो किसी भी राज्य प्रोटोकॉल के दायरे में नहीं आता है।

बोम्मई ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पहली बार किसी गैर-आधिकारिक कार्यक्रम के लिए प्रोटोकॉल के नाम पर इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव स्तर के एक अधिकारी को ‘‘प्रोटोकॉल के तहत नहीं आने वाले किसी व्यक्ति का स्वागत करने के लिए क्लर्क’’ के रूप में इस्तेमाल किया गया।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य के मेहमानों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटोकॉल का पालन किया गया और अतीत में सभी सरकारों के दौरान राजनीतिक नेताओं के साथ समान प्रोटोकॉल के अनुसार व्यवहार किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आपकी (विपक्षी दलों) धमकियों से नहीं डरेंगे...राजनीति के लिए ऐसे मुद्दे उठाए जा रहे हैं।’’ सिद्धरमैया ने दावा किया कि 2018 में कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान कई राजनीतिक दलों के नेताओं की मेजबानी में इस तरह के प्रोटोकॉल का पालन किया गया था, जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

सिद्धरमैया ने कहा कि भाजपा के दिवंगत नेता अनंत कुमार ने अतीत में कार्यकारी समिति के सदस्यों के लिए राज्य अतिथि का दर्जा देने का अनुरोध किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने राज्य अतिथि का दर्जा दिया था।

कुमारस्वामी ने भी राजनीतिक कार्यक्रम को लेकर आईएएस अधिकारियों को तैनात करने के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना की। उन्होंने सिद्धरमैया पर पलटवार करते हुए कहा कि उनका शपथ ग्रहण एक आधिकारिक समारोह था न कि किसी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित कार्यक्रम।

 










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