महराजगंज: जिला जेल में ढाई वर्षों से बंद युगांडा का नागरिक लौटा अपने देश, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

भारत से नेपाल में जाने के प्रयास के बाद से जिला जेल में बंद युगांडा का नागरिक आखिरकार ढ़ाई साल बाद अपने देश लौट गया है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट

सेबन्याबेन की ढाई साल बाद रिहाई
सेबन्याबेन की ढाई साल बाद रिहाई


महराजगंज: वर्ष 2018 में फर्जी पासपोर्ट के सहारे भारत से नेपाल में जाने का प्रयास करते गिरफ्तार हुए युगांडा देश के नागरिक सेबन्याबेन को आखिर ढाई साल बाद रिहाई मिल गई। सेबन्याबेन की मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण महराजगंज सीजेएम कोर्ट ने तीन हजार रुपये के अर्थदंड और अबतक जेल में बिताए समय को सजा मानते हुए उसे रिहा कर दिया है। 

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सेबन्याबेन के स्वजन अथवा युगांडा एंबेसी को सूचना देने के बाद भी किसी के द्वारा उससे संपर्क न करने की स्थिति में उसने जेल में कमाए हुए स्वयं के पैसे से अपना अर्थदंड जमा किया। शुक्रवार को जेल प्रशासन ने उसे रिहा कर दिया है। मामला 14 नवंबर 2018 का है। जब युगांडा देश के कसूबीव्यू अकेरेरेवान डेंग्या निवासी सेबन्याबेन नेपाल जाने के लिए सोनौली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचा था। वहां आब्रजन कार्यालय पर जांच में भारत में रहने के लिए उसके पास भारतीय वीजा तो बरामद हुआ लेकिन, पासपोर्ट किसी और के नाम का था।

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जिस पर सेसेबन्याबेन लिखा हुआ था। साथ ही दिल्ली के जिस एयरपोर्ट से उसने अपना आना बताया था , वह भी जांच में फर्जी पाया गया। बाद में पुलिस और आब्रजन अधिकारियों की जांच में यह पाया गया कि सेबन्याबेन भारत में अपने मूल पासपोर्ट पर अप्रैल 2015 में आया था। जिसके बाद वर्ष 2017 में उसका पासपोर्ट भारत में ही कहीं खो गया। किन्हीं कारणों से सेबन्याबेन ने इसकी न तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और न ही इसकी सूचना अपने युगांडा एंबेसी को ही दी।

इधर वापस लौटने के लिए उसने युगांडा के ही किसी अपने जानने वाले से अपने नाम से मिलता जुलता सेसेबन्याबेन नाम से पासपोर्ट बनवाकर कोरियर के माध्यम से मंगा लिया, और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इंडिया में आने की मोहर भी लगवा डाला लेकिन सोनौली बार्डर पर सुरक्षा एजेंसियों ने जब कड़ाई से जांच पड़ताल की तब पासपोर्ट नकली निकला। तभी से ढाई वर्ष तक महराजगंज जिला जेल में बंदी के वाद अब रिहा हुआ औऱ हँसते हुए अपने वतन वापस लौट गया।










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