

नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर भारत देश का सिर ऊंचा कर दिया है। चोपड़ा देश के लिये हमेशा से ही मेडल लाते रहे हैं। इस लेख में आज हम नीरज चोपड़ा की कुछ आदतों का जिक्र कर रहे हैं, जिसे हर इंसान को अपने जीवन में अपनाना चाहिये।
Neeraj Chopra: गोल्डन बॉय के नाम से मशहूर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) में कमाल का प्रदर्शन करते हुये भारत की झोली में सिल्वर मेडल डाला है। हालांकि लोगों को नीरज से गोल्ड मेडल की उम्मीद थी, लेकिन वह चूक गये। तो चलिये आज एक नजर डालते नीरज चोपड़ा की कुछ क्वीलिटीज व संकल्पों पर जिसे हर शख्स को अपने जीवन में उतारना ही चाहिये।
कंफर्ट जोन से निकलें बाहर
नीरज चोपड़ा का वजन बचपन में बहुत ज्यादा था. लोग उन्हें मोटा कहते थे। इसके बाद उन्होंने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर अपने आपको ट्रांसफॉर्म करने का फैसला बना लिया। इस दौरान उनके हाथ में जेवलिन (Javelin) आ गया। आगे की कहानी किसी से छिपी नहीं है वे देश का गौरव बन गये। देश के लिये गोल्ड व सिल्वर मेडल जीत लाये।
फेलियर
नीरज चोपड़ा का मानना है कि फेलियर इंसान के लिये टर्निंग प्वॉइंट साबित होता है। इससे पीछे हटने की जरूरत नहीं है। बता दें कि 2012 में बास्केट बॉल खेलते समय नीरज चोपड़ा की कलाई टूट गई थी। बाद में ओलंपिक से 2 साल पहले उनकी एल्बो की सर्जरी हुई, लेकिन उनके हाथ से जेवलिन कभी नहीं छूटा। वह निरंतर देश के लिये मेडल लाते रहे।
भाषा या बैकग्राउंड बाधा नहीं
नीरज का मानना है कि अक्सर छोटे बैकग्राउंड या भाषा की वजह से लोग खुद अपनी कामयाबी का स्तर तय कर लेते हैं। चोपड़ा ने इसे गलत साबित किया। सक्सेस सिर्फ आपके हार्ड वर्क व लगन को देखती है। चोपड़ा इंग्लिश में नहीं बोलते हैं, लेकिन कामयाबी के मामले में आज वो सबसे ऊपर हैं।
लक्ष्य से ना भटकें
नीरज कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकते। वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप्स (2016), साउथ एशियन गेम्स (2016), एशियन चैंपियनशिप (2017), कॉमनवेल्थ गेम्स (2018), एशियन गेम्स (2018) और टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) (2020) में नीरज ने गोल्ड मेडल पर निशाना साधा है। उन्होंने कभी गर्लफ्रेंड, शादी और सक्सेस के नशे को खुद पर हावी नहीं होने दिया। अब पेरिस ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया है।